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वास्तु शास्त्र: ये 10 उपाय जो आपकी सोई हुई किस्मत जगाएं, घर में आती है सुख समृद्धि और वैभव

वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बहुत महत्व...

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Deepesh Tiwari

Feb 21, 2021

Monthly Durgashtami 2021: know every thing about Durga Ashtami

Monthly Durgashtami 2021: know every thing about Durga Ashtami

समान्य भाषा में किसी स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का विकास करना और नकारात्मक ऊर्जा को उस स्थान से दूर करना ही वास्तु शास्त्र है। इस संबंध में जानकारों का मानना है कि जिस प्रकार हम जीवन में सही और सफल कार्य करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं, ठीक उसी तरह जिस जगह हम रहते हैं फिर वह चाहे हमारा घर हो या हमारा ऑफिस। यदि वहां सकारात्मक ऊर्जा है, तो हमारे कार्यों को ध्यान में रखते हुए हमारी योजनाएं भी सही बनती हैं।

दरअसल वास्तु एक ऐसा विज्ञान है जो इस बात पर जोर देता है कि घर-परिवार कैसे सुखी, स्वस्थ और खुशहाल हों। यह प्रकृति की ऊर्जा, संसाधन और परिवार की ऊर्जा के सही व संतुलित उपयोग के गुर सिखाता है।

इन्हीं सब कारणों के चलते वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है, माना जाता है कि हम वास्तु के नियमों का जितना पालन करेंगे हमारे जीवन में उतनी ही सुःख समृद्धि होगी। वहीं नियमों के मुताबिक जो घर वास्तु के प्रति जितना अनुकूल होगा, वहां उतनी ही खुशियां और समृद्धि होंगी। लोग सुखी होंगे। वहीं, वास्तु के प्रतिकूल घर समृद्धि के बावजूद दुख का कारण बनते हैं। ऐसे में आज हम आपको आज वास्तु से जुड़े कुछ आसान और असरदार उपाय बता रहें हैं, जिनके संबंध में मान्यता है कि इसका पालन करने वाले के घर में सुख समृद्धि और वैभव आते हैं।

मुख्य द्वार वास्तु नियम- स्वागतम या स्थानीय भाषा में अभिवादन स्वरूप इस्तेमाल होने वाले वाक्य भी लिखे जा सकते हैं। ये भी शुभ माने जाते हैं और गृहस्वामी की प्रतिष्ठा बढ़ाते हैं। मुख्य द्वार पर- कुत्तों से सावधान, जैसे वाक्य नहीं लिखने चाहिए। किसी जंगली व हिंसक जानवर का चित्र भी अशुभ माना गया है।

मकान स्थिति- वास्तु नियमो के मुताबिक जिन घरो में उखड़ा हुआ फर्श या खराब स्थिति में प्लास्टर मौजूद होता है, उन घरो में नकारात्मक ऊर्जा, अशांति और आर्थिक हानि लेकर आता है। इसलिए बेहतर होगा कि जल्द इसकी मरम्मत करवा लें। धार्मिक मान्यता के तौर पर माता लक्ष्मी साफ़ सुतरे और मांगलिक घरो में ही अपना निवास बनाती है।

सकरात्मक खिड़कियां- घर के खिड़की-दरवाजों को खोलते-बंद करते वक्त अगर वे आवाज करते हैं तो यह शुभ संकेत नहीं है। कहा जाता है कि इससे घर के लोगों का स्वास्थ्य खराब होता है। बोलते दरवाजे सुनसान या खामोशी का प्रतीक होते हैं। इसलिए उनके जोड़ (जहां से वे दीवार से जुड़े हैं) में तेल आदि लगाकर दुरुस्त करें। दरवाजों का आसानी से खुलना-बंद होना ही शुभ होता है।

घर सौंदर्य- घर के दक्षिण-पश्चिम में अधिक दरवाजे या खिड़कियां हों तो चोरी, अग्नि और रोग पर अधिक व्यय को बढ़ावा मिलता है। अगर संभव हो तो इन्हें बंद कर दें। अगर ऐसा मुमकिन नहीं तो हर गुरुवार को गुड़, थोड़ी चने की दाल और चुपड़ी रोटी गाय को श्रद्धापूर्वक खिलाएं। गौ की कृपा से भी घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। उसके सदस्यों की रक्षा होती है।

बिस्तर व्यवस्था- वास्तु शास्त्र के मुताबिक बिस्तर के नीचे तेल, नमक, खाली मटका, झाडू़, जूते, कचरा और ओखली-मूसल जैसी चीजें न रखें। ये चीजें मानसिक अशांति के साथ ही भाग्योदय में बाधा लाती हैं। इस लिए भूलकर भी अपने विस्तर के नीचे इन चीजों को रख कर नहीं सोना चाहिए। वास्तु के इस नियम का पालन करने से मन शांत व कार्य में सफलता मिलती है।

वास्तु उपाय- वास्तु नियमों के मुताबिक भूलकर भी घर के मुख्य द्वार के सामने कोई कंटीला पौधा या फूल न लगाएं। द्वार सुंदर और मन को प्रसन्नता देने वाला होना चाहिए। उसके सामने गंदा पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए। मुख्य द्वार पर कोई शुभ प्रतीक चिह्न, ऊं, गणपति, शुभ-लाभ या जिस देव में आप श्रद्धा रखते हैं, लिखना चाहिए।

कबाड खाना- वास्तु शास्त्र कहता है कि अगर घर की छत पर भी खाली मटके, पुराने गमले, खराब कूलर, पंखे या रद्दी का सामान पड़ा हो तो उसे वहां से हटा दें। खासतौर से उस कमरे की छत पर ये चीजें नहीं होनी चाहिए, जहां रात्रि को शयन करते हैं। ऐसा करने पर घर में अशांति व मानशिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। घर परिवार में बीमारी का आगमन होता है। इस लिए इस बात का खास ध्यान रखें।

भवन निर्माण- भूखंड के बारे में वास्तु के जानकारों का मानना है कि उसकी लंबाई, चौड़ाई के दोगुने से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो उस घर में आय से ज्यादा व्यय होता है और प्रगति में बाधा आती है। अपने सपनो का घर निर्माण करते समय इन नियमो का पालन करने से परिवार में सुख़ शांति बनी रहती है। और माता लक्ष्मी का घर में निवास होता है। यंहा पर ध्यान योग्य बात ये है, कि भवन का मुख कभी भी शेर जैसा नहीं होना चाहिए।

देव पूजन- रोज अपने इष्ट देव के चित्र या प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं। इसी के साथ अपने पूर्वजो का सम्मान करे। उसके आसपास दवाई आदि न रखें। पूजा करते समय आपका मुख उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम की तरफ होना चाहिए। यंहा पर ध्यान योग्य बात ये है कि मुख की दिशा दक्षिण नहीं होनी चाहिए। धार्मिक आधार पर दक्षिण दिशा की पूजा अधूरी मानी जाती है।