
Til Dwadashi 2025 Puja Vidhi: तिल द्वादशी पूजा विधि और उपाय
Til Dwadashi 2025 Upay: शास्त्रों में माघ मास की प्रत्येक तिथि का महत्व धार्मिक पर्व की तरह बताया गया है। इन तिथियों पर तीर्थ स्नान मात्र से भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन एकादशी और द्वादशी ऐसी 2 तिथि हैं जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इन तिथियों पर भगवान की पूजा विशेष पुण्यफल प्रदान करती है।
जयपुर के ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार तिल द्वादशी पर पानी में तिल मिलाकर स्नान से तीर्थ स्नान का पुण्यफल मिलता है। इसके अलावा पुराणों में माघ कृष्ण द्वादशी यानी तिल द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है। आइये जानते हैं तिल द्वादशी पर कैसे करें पूजा और तिल द्वादशी के उपाय..
नारद और स्कंद पुराण के अनुसार षटतिला एकादशी के अगले दिन माघ महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर तिल दान विशेष शुभ फलदायक होता है। इस दिन द्वादशी व्रत किया जाता है और सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए।
तीर्थ स्नान न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं और तिल मिले जल से भगवान विष्णु का अभिषेक कर अन्य पूजन सामग्री से पूजा करें और तिल चढ़ाएं । पूजा के बाद तिल का ही नैवेद्य लगाएं और उसका प्रसाद लोगों को बांटें।
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डॉ. अनीष व्यास के अनुसार ज्योतिष ग्रंथों में वर्णन है कि बारहवीं तिथि यानी द्वादशी के स्वामी भगवान विष्णु हैं। इस दिन रविवार रहेगा, रविवार के देवता सूर्य हैं। इसलिए रविवार को पड़ रहे तिल द्वादशी पर व्रत और स्नान-दान का कई गुना अधिक पुण्य फल मिलेगा। आइये जानते हैं तिल द्वादशी पूजा विधि
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार तिल द्वादशी व्रत से हर सुख और वैभव मिलता है। यह व्रत कलियुग के हर पाप का नाश करता है।
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तिल द्वादशी के दिन तिल दान करने से जीवन में व्याप्त परेशानियों का अंत होता है। तिल द्वादशी को तिल दान करने से दुःख, दर्द, दुर्भाग्य और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
तिल द्वादशी के दिन तिल युक्त पानी से स्नान करने और स्नान ध्यान कर तिलांजलि देने से करियर को नया आयाम मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि पितृ के प्रसन्न रहने से व्यक्ति जीवन में सबकुछ प्राप्त कर सकता है।
ज्योतिष पितृ को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों को तिल तर्पण करने की सलाह देते हैं। साथ ही तिल द्वादशी को तिल दान अवश्य करें।
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माघ महात्म्य के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु माघ महीने में तीर्थ स्नान करने मात्र से ही भक्त से प्रसन्न होकर सभी पापों से मुक्त कर देते हैं। पद्म पुराण में बताया गया है कि तिल द्वादशी व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।
Updated on:
26 Jan 2025 08:24 am
Published on:
25 Jan 2025 07:26 pm
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