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Vishwakarma Puja: विश्वकर्मा पूजा पर इन मंत्रों का करें जाप, ऐसे करें आरती, कार्य में मिल सकती है सफलता

Vishwakarma Puja 2025 Mantra and Aarti: आज का दिन भगवान विश्वकर्मा के जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें सृष्टि का पहला शिल्पकार, इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। ऐसे में इस दिन विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है।

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भारत

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MEGHA ROY

Sep 16, 2025

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Vishwakarma Puja 2025 rituals in India|फोटो सोर्स – Freepik

Vishwakarma Puja 2025 Mantra and Aarti: विश्वकर्मा जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, जब सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं (कन्या संक्रांति)। आज का दिन भगवान विश्वकर्मा के जन्मतिथि के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें सृष्टि का पहला शिल्पकार, इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। ऐसे में इस दिन विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि में बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र और आरती, जिन्हें श्रद्धा से जपना अत्यंत फलदायी माना गया है।ऐसे में इस दिन विधिपूर्वक उनकी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं भगवान की पूजा विधि में बोले जाने वाले प्रमुख मंत्र और आरती, जिन्हें श्रद्धा से जपना अत्यंत फलदायी माना गया है।

विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त (Vishwakarma Ekadashi Shubh Muhurat)

  • तिथि प्रारंभ17 सितंबर को रात 12:21 AM (16-17 की मध्यरात्रि)।
  • तिथि समाप्त17 सितंबर को रात 11:39 PM तक।
  • पूजा का समयसाधक अपनी सुविधा अनुसार इस अवधि में स्नान-ध्यान कर विश्वकर्मा जी की पूजा कर सकते हैं।

विश्वकर्मा पूजा मंत्र (Vishwakarma Puja Mantra)

1. नमस्ते विश्वकर्माय, त्वमेव कर्तृता सदा।

शिल्पं विधाय सर्वत्र, त्वं विश्वेशो नमो नमः।।

2. ओम आधार शक्तपे नम:।
ओम् कूमयि नम:।
ओम अनन्तम नम:।
पृथिव्यै नम: मंत्र।
ॐ धराधराय नमः
ॐ स्थूतिस्माय नमः
ॐ विश्वरक्षकाय नमः
ॐ दुर्लभाय नमः
ॐ स्वर्गलोकाय नमः
ॐ पंचवकत्राय नमः
ॐ विश्वलल्लभाय नमः
ॐ धार्मिणे नमः

3.ॐ विश्वकर्मणो वशतः सुमना:।
विश्वे देवासो विश्वकर्मणा सह।
धियं च यज्ञं च दधु:।

विश्वकर्मा पूजा आरती (Vishwakarma Ji Ki Aarti)

ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…

आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।

जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…

जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…

“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…

विश्वकर्मा जी की दूसरी आरती (Vishwakarma Aarti)

सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया ।
जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई ।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना ।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी ।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत सगरी हरी ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप साजे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे ।
मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
श्री विश्वकर्मा की आरती, जो कोई गावे ।
भजत गजानांद स्वामी, सुख संपति पावे ॥
जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा ।
सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥