5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

28 मार्च से शुरू होगी कोरोना पर विजय यात्रा! ये रहेंगे मददगार

शुक्र का गोचर भारतवर्ष की जन्मकुंडली के लिए किसी वरदान से कम नहीं...

3 min read
Google source verification
we will win from corona virus from 28 march 2020

we will win from corona virus from 28 march 2020

कोरोना वायरस को लेकर जहां एक ओर करीब 192 देश छटपटा रहे हैं। वहीं इसकी एंटी डोज अब तक तैयार नहीं हो सकी है। जिसके चलते भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में खौफ का माहौल बना हुआ है।

ऐसे में एक बार फिर कोरोना से लड़ने के लिए देश के कई लोग कोशिश में अपने अपने तरीकों से जुट गए हैं। इसके चलते जहां ज्योतिष के कई जानकार इसे ग्रहों की चाल का परिणाम बता रहे हैं। वहीं कई ने तो धर्मशास्त्रों में इसके इलाज से लेकर भविष्यवाणियों तक को खोज निकाला है।

ऐसे में कई इस महामारी से बचाव के लिए मंत्रों का सहारा लेने तक की सलाह दे रहे हैं। जिसके तहत बताया जा रहा है कि श्री दुर्गासप्तशती में महामारी व रोग नाश के लिए अलग अलग मंत्र दिए गए हैं। जिनके पाठ से इस महामारी पर काफी हद तक कंट्रोल किा जा सकता है।

MUST READ : नव संवत्सर 2077-जानिये क्या कहता है हिन्दू कैलेंडर, ये होगा ग्रहों का प्रभाव

ऐसे करें बचाव! ये मंत्र देंगे राहत...
श्री मार्कण्डेय पुराण में श्री दुर्गासप्तशती में किसी भी बीमारी या महामारी का उपाय देवी के स्तुति तथा मंत्र द्वारा बताया गया है जो कि अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं...

रोग नाश के लिए...
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥

महामारी नाश के लिए...
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

यह दोनों मंत्र अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं।

वहीं दूसरी ओर इन दिनों व्हाट्सएप पर शिवपुराण में कोरोना का जिक्र होने तक का दावा किया जा रहा है, साथ ही इससे बचाव के उपाय भी शिवपुराण में ही होने की बात कही जा रही है।

वहीं अब ज्योतिष जिसे विज्ञान का दर्जा प्राप्त है, उसका आंकलन भी कोरोना के असर के कम होने की भविष्यवाणी कर रहा है। दरअसल कई ज्योतिष के जानकारों के अनुसार कोरोना का आना ग्रहों की चाल का ही परिणाम है, ऐसे में जीवोत्पत्ति के कारक शुक्र के 28 मार्च को दोपहर बाद 3 बजकर 36 मिनट पर मेष राशि की यात्रा समाप्त करके अपनी स्वगृही राशि वृषभ में प्रवेश कर रहे हैं।

ऐसे होगी कोरोना से जीत!
अपनी राशि वृषभ में शुक्र 4 माह 3 तक की लंबी अवधि तक विद्यमान रहेंगे। इस राशि पर गोचर करते समय ये 13 मई को वक्री होंगे और पुनः 25 जून को मार्गी होकर 1 अगस्त की सुबह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।

जानकारों के अनुसार सृष्टि में शुक्र को जीवाश्म का कारक माना जाता है। वह जीवाश्म चाहे अणु से भी छोटा हो या बड़े से बड़ा ही क्यों न हो। तरह तरह के वायरस में भी शुक्र के ही प्रभाव देखे जाते हैं। स्वतंत्र भारत की जन्म लग्न वृषभ में शुक्र का आना और मालव्य जैसे योगों का निर्माण करना देश के लिए अच्छा संकेत है।

भारत की प्रभाव राशि कर्क से लाभ स्थान में इनका गोचर करना भी भारत को अति आर्थिक क्षति ना होने पाए इसे रोकने में मदद करेगा। यदि देश की जनता केंद्र सरकार के बताए गए नियमों का पालन करती है तो अति शीघ्र भारतवर्ष में बढ़ रहे कोरोना जैसे महामारी के मरीजों पर विराम लग जाएगा और हम इस महामारी पर विजय प्राप्त करेंगे।

जानकारों का मानना है कि शुक्र 4 माह 3 तक की लंबी अवधि तक वृषभ राशि में विद्यमान रहेंगे। इस राशि पर गोचर करते समय ये 13 मई को वक्री होंगे और पुनः 25 जून को मार्गी होकर 1 अगस्त की सुबह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। वक्री-मार्गी अवस्था में इतनी अवधि तक अपने घर में शुक्र का गोचर करते रहना भारतवर्ष की जन्मकुंडली के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अब जबकि पूरा देश करोना वायरस के खौफ से कर्फ्यू से गुजर रहा है ऐसे में स्वतंत्र भारत की प्रभाव लग्न 'वृषभ' में इनका आना भारत वासियों के लिए राहत की खबर ला सकता है।