अचला (अपरा) एकादशी 2021 का व्रत मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ – 05 जून 2021 को 04 बजकर 07 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त – जून 06, 2021 को सुबह 06 बजकर 19 मिनट तक
अपरा एकादशी पारणा मुहूर्त : 07 जून 2021 को सुबह 05 बजकर 12 से सुबह 07:59 तक
अवधि – 2 घंटे 47 मिनट
अचला (अपरा) एकादशी 2021 व्रत विधि…
एकादशी की पूर्व संध्या को व्रती सात्विक भोजन करें। और फिर अगले दिन यानि एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म के पश्चात स्नान-ध्यान करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर विष्णु जी की पूजा करें। और पूरे दिन अन्न का सेवन न करें, वहीं जरूरत पड़े तो केवल फलाहार लें।
फिर शाम को विष्णु जी की आराधना करें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। और व्रत पारण के समय नियम के अनुसार व्रत खोलें, व्रत खोलने के पश्चात् ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।
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एकादशी पूजा की सामग्री…
श्री विष्णु जी का चित्र या मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान।
अचला (अपरा) एकादशी कथा…
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा क्रूर, अधर्मी व अन्यायी थ। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। एक रात उसने अवसर पाकर अपने गड़े भाई यानि महीध्वज की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया।
इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पील पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। अचानक एक दिन धौम्य नामक ऋषि वहां से निकले। उन्होंने वहां उस प्रेत को देखा और अपने अपने तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। साथ ही प्रेत के उत्पात का कारण भी समझ लिया।
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इसके बाद ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के वृक्ष से उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य, प्रेत को अर्पित कर दिया।