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यदि आप भी बेचते या खरीदते हैं प्रसाद, तो आपको भोगना पड़ सकता है नर्क

इसलिए प्रसाद खरीदना-बेचना माना जाता है गलत....

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भोपाल

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Tanvi Sharma

Aug 29, 2019

prasad facts

सनातन धर्म में पूजा-पाठ का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। भगवान की पूजा के बाद प्रसाद चढ़ाया जाता है। प्रसाद ( bhagwan ka prasad ) चढ़ाना मतलब भगवान को भोजन अर्पित करना। प्रसाद की महिमा बहुत अधिक मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार भगवान को भोग लगाने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। दरअसल, भगवान को भाग लगाने के बाद वह प्रसाद में परिवर्तित हो जाता है। तभी उसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

स्कंद पुराण समेत कई शास्त्रों में प्रसाद की महिमा का वर्णन मिलता है। जिसके अनुसार भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद बहुत ही पवित्र होता है। वहीं इस प्रसाद को ग्रहण करने वाले व्यक्ति के लिए भी यह बहुत पवित्र होता है। शास्त्रों व पुराण के अनुसार प्रसाद को ग्रहण करने तथा बांटने से व्यक्ति गंगाजल के समान शुद्ध व पवित्रता मिलती है। ओर तो ओर कहा गया है की प्रसाद कभी भी अशुद्ध नहीं होता।

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इसलिए प्रसाद खरीदना-बेचना माना जाता है गलत...

आजकल के समय में कई धार्मिक स्थान ऐसे हैं, जहां यत्र-तत्र सूचना पट्टि दिखाई रहती हैं, जिनमें भगवान को अर्पित भोग यानी प्रसाद को बेचा जाता है और श्रद्धालु उस प्रसाद को खरीदकर स्वयं को धन्य मानते हैं। लेकिन शायद जो भगवान के भोग को खरीदते और बेचते हैं, वो ये नहीं जानते की इस प्रक्रिया को शास्त्र में अच्छा नहीं माना जाता है। शास्त्रों में भगवान के प्रसाद का क्रय-विक्रय करना निषेध बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार जो व्यक्ति भगवान को अर्पित भोग को, जो भोग के पश्चात प्रसाद रूप में परिवर्तित हो चुका है, उसे खरीदते या बेचते हैं, वो दोनों ही व्यक्ति नर्क के भागीदार माने जाते हैं।

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लेकिन वर्तमान स्थिति में किसी भी धार्मिक स्थल पर देखा जाए तो व्यापारिक गतिविधियों ने अपनी जगह बना रखी है। यदि की तीर्थस्थल पर जाया जाए तो वहां शास्त्रविरुद्ध कार्य किए जा रहे हैं। जैसे शीघ्र दर्शन करवाना हो या फिर भगवान को चढ़ाए हुए भोग को खरीदना या बेचना हो। जबकी भगवान को चढ़ाया हुआ प्रसाद तो स्वेच्छा से बांटा जाना चाहिए।

विशेष रुप से ध्यान दें: भगवान को अर्पण किया जाने वाला भोग आप खरीद सकते हैं। लेकिन जब भोग भगवान को चढ़ाया जा चुका है और प्रसाद में परिवर्तित हो चुका है उस प्रसाद को खरीदना शास्त्र में निषेध होता है।