
bhishmashtami 2023
Bhishma ashtami 2023 Mahatv: इस दिन को देवों का दिन कहा जाता है। इसी दिन महाभारत युद्ध के बाद गंगा पुत्र भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर देह त्याग किया था। इस दिन भीष्म की मृत्यु की वर्षगांठ मनाई जाती है। कहा जाता है गंगापुत्र भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान था, जिसे उनके पिता महाराज शान्तनु ने उन्हें दिया था। आजीवन ब्रह्मचारी रहने और राज सिंहासन के प्रति वफादार रहने की प्रतिज्ञा करने पर। मान्यता है कि जो श्रद्धालु भीष्म की स्मृति के निमित्त कुश, तिल और जल से तर्पण करता है, उसे संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है, उसके सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
भीष्म अष्टमी पूजा विधिः भीष्म अष्टमी के दिन भीष्म पितामह के सम्मान में एकोदिष्ट श्राद्ध की प्रथा है। यह श्राद्ध वह व्यक्ति करता है जिसके पिता जीवित न हों, परंतु कुछ लोग भीष्म अष्टमी के दिन अनुष्ठान करते हैं। लोग भीष्म पितामह की आत्मा की शांति के लिए पास की नदी में जाते हैं और तर्पण की रस्म पूरी करते हैं। इस रीति से वे पूर्वजों का सम्मान भी करते हैं। कई लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं, उबले चावल और तिल चढ़ाते हैं। इस दिन कई लोग उपवास रखते हैं और देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए भीष्म अष्टमी मंत्र का जाप करते हैं। कुरूक्षेत्र में इसको विशेष रूप से मनाया जाता है। लोग भीष्म कुंड में डुबकी लगाते हैं और पूजा करते हैं।
भीष्म अष्टमी तिथिः पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल अष्टमी की शुरुआत 28 जनवरी को सुबह 8.43 बजे से हो रही है, जबकि यह तिथि 29 जनवरी सुबह 9.05 बजे संपन्न हो रही है। इस दिन कुरूक्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग स्नान ध्यान के बाद श्राद्ध और तर्पण करते हैं।
भीष्म अष्टमी मंत्रः इस दिन लोग वैयाघ्रपद गोत्राय सांकृत्यप्रवराय च। गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे। भीष्मः शान्तनवो वीरः सत्यवादी जितेन्द्रियः। आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रौचितां क्रियाम् मंत्र का जाप भी करते हैं।
Updated on:
23 Jan 2023 07:10 pm
Published on:
23 Jan 2023 07:09 pm
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