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Ganesh Chaturthi 2022: भगवान गणेश की पूजा में भूलकर भी न चढ़ाएं तुलसी, जानिए क्या है इसका धार्मिक कारण

गणेश चतुर्थी का त्योहार आज देशभर में मनाया जा रहा है। जहां भगवान गणेश की विधिवत पूजा और उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं वहीं गणेश जी को तुलसी अर्पित करना वर्जित माना जाता है।

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Ganesh Chaturthi 2022: भगवान गणेश की पूजा में भूलकर भी न चढ़ाएं तुलसी, जानिए क्या है इसका धार्मिक कारण

Ganesh Chaturthi 2022: शास्त्रों में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव कहा गया है। माना जाता है कि गणेश जी की कृपा से बुद्धि, ज्ञान, धन और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। आज गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा कर भक्तजन बप्पा से कष्टों को दूर करने की कामना करेंगे। शास्त्रों के मुताबिक जहां भगवान गणेश की विधिवत पूजा, व्रत करने और उनकी मनपसंद चीजों का भोग लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं वहीं गणेश जी की पूजा में भूलकर भी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। तो आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी...

क्यों नहीं चढ़ाते हैं भगवान गणेश को तुलसी?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश गंगा नदी के तट पर तपस्‍या कर रहे थे। इसी दौरान धर्मात्मज की पुत्री तुलसी अपनी शादी की इच्छा से तीर्थ यात्रा पर निकली। सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए तुलसी गंगा नदी के किनारे पहुंची जहां भगवान गणेश तपस्या कर रहे थे। कथा के अनुसार अपनी तपस्या में मग्न गणेश जी रत्न जड़ित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके अंगों पर चंदन लगा हुआ था और कंठ में पारिजात के फूलों की माला के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के अनेकों हार सुशोभित थे। वहीं गणपति जी ने अपनी कमर में रेशम का पीताम्बर लपेटा हुआ था।

श्रीगणेश के इतने सुंदर स्‍वरूप को देखकर देवी तुलसी उन पर मोहित हो गईं और उनके मन में गणेश जी से शादी करने की इच्छा जाग्रत हुई। इसी मंशा से देवी तुलसी ने गणेश जी का ध्यान भंग कर दिया। तुलसी द्वारा अपनी तपस्या को भंग करने और उसकी शादी की इच्छा ज्ञात होने पर भगवान गणेश ने खुद को ब्रह्मचारी बताकर विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

गणेश जी द्वारा शादी से इनकार करने के कारण देवो तुलसी ने रुष्ट होकर उन्हें श्राप दे दिया कि उनकी ए‍क नहीं बल्कि दो-दो शादियां होंगी। इस बात को सुनकर क्रोधवश भगवान गणेश ने भी तुलसी को श्राप दे दिया कि तुम्हारी शादी किसी असुर से होगी। यह सुनकर तुलसी ने तुरंत गणेशजी से क्षमा मांगी। इस पर भगवान गणेश बोले कि, 'तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण नामक एक असुर से होगा लेकिन इसके बाद तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय होने के कारण कलयुग में संसार के लिए मोक्षप्रदायिनी मानी जाओगी। हालांकि मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा।' तभी से मान्यता है कि गणेश जी की पूजा में तुलसी वर्जित होती है।

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