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Ganesh Chaturthi 2017: जानें गणपति को क्यों लगाते हैं लड्डुओं का भोग

Ganesh Chaturthi 2017 के अवसर पर पढें त्योहार का महत्व, कथा व अन्य जरूरी बातें।

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आगरा

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suchita mishra

Aug 17, 2017

Ganesh Chaturthi

Ganesh Chaturthi 2017

हिंदू धर्म में गणेश भगवान की विशेष मान्यता है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले सबसे पहले गणपति बप्पा का नाम ही लिया जाता है। यही कारण है कि जब Ganesh Chaturthi से लेकर Anant Chaudas तक गणपति बप्पा का त्योहार आता है तो लोग इसे धूमधाम से मनाते हैं। इस त्योहार को गणेशोत्सव या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस बार गणेशोत्सव 25 अगस्त से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलेगा।


दस की ग्यारह दिन मनेगा गणेशोत्सव
इस बार गणपति बप्पा का ये त्योहार दस दिनों की जगह 11 दिनों तक मनाया जाएगा। 31 अगस्त और 1 सितंबर, दो दिनों तक दशमी होने के कारण ऐसा होगा।

इस तरह मनाया जाता है त्योहार
त्योहार के दौरान भगवान भक्त गणपति बप्पा की मूर्ति को चतुर्थी के दिन घर में लाकर स्थापित करते हैं। दस दिनों तक इनका विशेष पूजन किया जाता है। दसवें ही दिन यानी अनंत चौदस के दिन गणपति जी की मूर्ति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। मान्यता है कि दस दिनों तक निवास करने के बाद इस दिन विनायक अपने माता पिता यानी शिव और गौरी माता के पास लौट जाते हैं।

मिष्ठान का भोग

भगवान गणेश मीठे के शौकीन थे, इसलिए इस दौरान उन्हें कई तरह की मिठाईयां जैसे मोदक, गुड़, बेसन और नारियल के लड्डू का भोग लगाया जाता है। इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान है। यह त्योहार महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश गोवा, केरल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में काफी जोश के साथ मनाया जाता है।

ये है कथा

कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से भगवान गणेश का निर्माण किया था। एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं तो उन्होंने गणेश को आदेश दिया जब तक वह स्नान करके न लौट आए तब वह दरवाजे पर पहरा दें। लेकिन तभी भगवान शिव वहां आ गए और गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका। भगवान गणेश और शिव के बीच इस बात को लेकर काफी विवाद हुआ और क्रोध में आकर भगवान शिव ने उनका सिर काट दिया। यह दृश्य देखकर माता पार्वती बेहद क्रोधित हुईं जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को वचन दिया कि वह गणेश को नया जीवन देंगे। इस घटना के बाद भगवान शिव ने अपने साथियों को एक सिर ढूंढने के लिए भेजा, उन लोगों ने एक हाथी का सिर लाकर उन्हें दिया। भगवान शिव ने वह हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोड़कर उन्हें नया जीवन दिया जिसके बाद भगवान गणेश को गजानन कहकर पुकारा जाने लगा।