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Vinayak Chaturthi Jyeshtha: 23 मई को ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी, इस विधि से पूजा गणेशजी को करती है प्रसन्न

प्रत्येक महीने की चतुर्थी तिथि खास होती है, यह तिथि पार्वती नंदन गणेशजी की पूजा के लिए समर्पित होती है। हर महीने दो बार पड़ने वाली चतुर्थी तिथि में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी तो शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Jyestha Vinayak Chaturthi ) कहा जाता है। ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी इस बार 23 मई को पड़ रही है. आइये जानते हैं कि विनायक चतुर्थी पर कैसे करें गणेशजी की पूजा (Lord Ganesha Puja Vidhi) ..

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Pravin Pandey

May 21, 2023

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विनायक चतुर्थी व्रत 23 मई को पड़ रहा है।

विनायक चतुर्थी का महत्व (Significance)
गणेश का एक नाम विनायक भी है, विघ्ननाशक गणेश को प्रथम पूज्य भी माना जाता है। मान्यता है कि गणेशजी की पूजा से भक्त को सुख शांति की प्राप्ति होती है। वहीं गणेश चतुर्थी व्रत से भगवान गणेश भक्त का हर संकट दूर करते हैं। इस दिन सुबह से शाम तक व्रत रखने के बाद शाम को फिर गणेशजी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होता है। इस दिन व्रत से माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है, चंद्रदोष भी दूर होता है। सभी मनोकामना पूरी होती है। संतान प्राप्ति से व्यापार व्यवसाय की बाधा तक दूर होती है।

कब है विनायक चतुर्थी व्रतः ज्येष्ठ माह का विनायक चतुर्थी व्रत इस महीने की 23 तारीख को है। प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी की शुरुआत 22 मई 11.18 पीएम से हो रही है और यह तिथि 24 मई 12.57 एएम पर संपन्न होगी। विनायक चतुर्थी व्रत पर पूजा पूजा का समय 23 मई 10.59 एएम से 1.47 पीएम के बीच होगी।

कैसे करें विनायक चतुर्थी की पूजा (Vinayak Chaturthi Puja)
1. विनायक चतुर्थी पर सुबह उठकर साफ-सफाई करें, गंगाजल छिड़कें और उसके बाद स्नान ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
2. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें, गणेशजी को पीले फल-फूल, दीप, धूप दीप, अक्षत, चंदन, दूर्वा अर्पित करें और विधि विधान से पूजा करें।


3. गणेशजी को मोदक का भोग लगाएं।
4. गणेशजी के मंत्रों का जाप करें, गणेश चालीसा का पाठ करें।
5. व्रत के दौरान सिर्फ एक बार फलाहार करें और यह फलाहार शाम को चंद्र को अर्घ्य देने और आरती के बाद ही करना चाहिए।

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इस दिन बन रहा खास संयोग
विनायक चतुर्थी पर इस साल विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन बड़ा मंगल भी पड़ रहा है, जो बजरंगबली की पूजा का दिन है। इस दिन पूजा से गौरी पुत्र गणेश और हनुमानजी के आशीर्वाद से भक्त का हर संकट दूर हो जाएगा। इस दिन राहु केतु के दुष्प्रभाव से मुक्ति के लिए गणेशजी की पूजा और मंगल दोष के दुष्प्रभाव से राहत पाने के लिए हनुमानजी की पूजा अचूक मानी जाती है।

विनायक चतुर्थी के दिन इस मंत्र का जाप करें
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।