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Kashi vishwanath corridor/काशी विश्वनाथ कॉरिडोर : श्रद्धालुओं को यह भव्य कॉरिडोर आज (13 दिसंबर को) समर्पित करेंगे PM मोदी, जानें इसकी खासियत?

कई प्राचीन मंदिरों को इस कॉरिडोर में संरक्षित किया गया है।

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Kashi vishwanath corridor

Kashi vishwanath corridor

भगवान शिव की नगरी काशी और वहां मौजूद काशी विश्वनाथ मंदिर (द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक) पर हमेशा से ही हिंदुओं की विशेष आस्था रही है। ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर अब लगभग बनकर तैयार हो गया है। जिसकी शुरुआत मार्च 2019 से हुई थी। पीएम मोदी आज सोमवार, 13 दिसंबर 2021 को करीब 339 करोड़ रुपए की लागत से बने काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के पहले फेज का उद्घाटन करेंगे।

दरअसल करीब ढाई सौ साल पहले इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था और इसके बाद आगे चलकर इस मंदिर में स्वर्ण शिखर महाराजा रणजीत सिंह ने मंडित कराया था, लेकिन तब से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट से पहले तक कई साल बीतने के बावजूद यह तीर्थ काफी हद तक उपेक्षित रहा।

ऐसे में करीब ढाई सौ वर्षों के उपरांत पीएम नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत अहिल्याबाई होल्कर के बाद एक बार फिर काशी विश्वनाथ धाम का जीर्णोद्धार हो रहा है। साथ ही ये भी बताया जाता है कि साइट को विकसित करते समय मंदिर की मूल संरचना से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। यह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर करीब 800 करोड़ की लागत से बन रहा है।

काशी विश्वनाथ मंदिर का जो परिसर पूर्व में 5 हजार वर्गफीट से भी कम था, ऐसे में अब विश्वनाथ धाम या काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम से काशी विश्वनाथ विस्तारीकरण और सुंदरीकरण परियोजना के तहत उसे बढ़कर 5 लाख 27 हजार 730 वर्ग फीट तक कर दिया गया है। जिसके चलते अब यहां आने वालों भक्तों को जहां एक ओर तंग गलियों से निजाद मिलेगी, वहीं काशी विश्वनाथ का एक भव्य रूप देखने को मिलेगा।

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गंगा तट से जुड़ा काशी विश्वनाथ
काशी विश्वनाथ सीधे तौर पर गंगा तट से जुड़ चुका है। यहां आने वाले श्रद्धालु गंगा में स्नान या आचमन कर मंदिर में दर्शन के लिए आ सकते हैं। बता दें कि मंदिर के चारों ओर एक परिक्रमा पथ भी तैयार किया गया है। इसके अलावा जो प्राचीन मंदिर थे उन्हें भी कॉरिडोर में संरक्षित किया गया है। उन प्राचीन मंदिरों को भी सही करने का काम किया जा रहा है।

बताया जाता है कि परियोजना में मंदिर चौक, वाराणसी सिटी गैलरी, संग्रहालय, बहुउद्देशीय सभागार, हॉल, भक्त सुविधा केंद्र, सार्वजनिक सुविधा, मोक्ष गृह, भोगशाला, पुजारियों और सेवादारों के लिए आश्रय, आध्यात्मिक पुस्तक स्थान और अन्य निर्माण शामिल है। साथ ही इसमें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई इमारतें हैं। वहीं 27 मंदिरों की मणिमाला भी यहां बनकर तैयार हो रही है।

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प्रधानमंत्री मोदी इसी माह यानि 2021 के दिसंबर माह की सोमवार, 13 तारीख को विश्वनाथ धाम को देश की जनता को समर्पित करेंगे और इसी उपलक्ष्य में पूरे एक महीने 14 दिसंबर से 13 जनवरी 2022 तक 'चलो काशी' के नाम से महोत्सव भी वाराणसी में होगा। बताया जाता है यह महोत्सव पूरे विश्व के शिवभक्तों की जागरुकता और आमंत्रण के लिए किया जा रहा है।

इस महोत्सव की मुख्य थीम काशी विश्वनाथ धाम की होगी और म्यूजिक, साहित्य, बुक फेयर, ट्रेड फेयर, फेस्टिवल, मेयर सम्मेलन, कृषि आधारित सम्मेलन, आर्किटेक्ट सम्मेलन, कला और साहित्य से जुड़े लोगों का सम्मेलन, रंगोली और फोटोग्राफी प्रतियोगिता, खेलकूद और यूथ फेस्टिवल समेत विभिन्न कार्यक्रम पूरे एक माह तक चलेंगे।

विश्वनाथ धाम की तैयारी, महोत्सव और लोकार्पण के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार काशी विश्वनाथ धाम का काम अंतिम चरण में है। वहीं 13 दिसंबर को इसका लोकार्पण पीएम मोदी के हाथों से होना प्रस्तावित है। जो बहुत महत्वपूर्ण समय है।

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IMAGE CREDIT: Patrika

इनका भी किया है निर्माण
जानकारी के अनुसार मंदिर परिसर का दायरा 5 लाख 27 हजार 730 वर्ग फीट कर दिया गया है। इसमें मुख्य रूप से तीन चीजें बनाई जा रही है, जिसमें मंदिर परिसर, चौक, पाथवे से संलग्न 23 बिल्डिंग्स भी बन रही हैं। यहां 3 यात्री सुविधा केंद्र, वैदिक सेंटर, मल्टीपरपज हॉल, एक टूरिस्ट फैसिलिटेशन काउंटर, वाराणसी गैलरी, सिटी म्यूजियम, सिक्योरिटी ऑफिस, मुमुक्षु भवन, गेस्ट हाउस, शॉपिंग कांप्लेक्स, जलपान केंद्र जैसी महत्वपूर्ण इमारतें भी होंगी। इसके अलावा दिव्यांगों, वृद्धों के लिए रैंप और एस्केलेटर की सुविधा भी दी जाएगी।

बताया गया है कि यहां मौजूद भवनों के अंदर से कई मंदिर निकले हैं। इन मंदिरों की भी पुन: स्थापना के लिए काम कराया जा रहा है। कहा जा रहा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों पर हुई पेंटिंग की वजह से काफी दिक्कत आ रही थीं, जिसके चलते इसका रेस्टोरेशन वर्क भी विशेषज्ञों की ओर से कराया गया है। वहीं स्वर्ण शिखर की साफ-सफाई भी विशेषज्ञों द्वारा कराई जा रही है।

सात तरह के पत्थरों से निर्माण
तराशे गए मकराना मार्बल से सात तरह के पत्थरों से कॉरिडोर को भव्य रूप दिया गया है। करीब 31 महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। जिसके तहत 314 भवनों का अधिग्रहण किया गया है। ऐसे में जहां पहले पांच हजार वर्ग फीट जमीन भी मुश्किल से मिल पाती थी। काम पूरा हो जाने के बाद दर्शनार्थी कॉरिडोर के बाहरी हिस्से में टेरेस पर खड़े होकर गंगा नदी के साथ ही मणिकर्णिका और ललिता घाट काे भी निहार सकेंगे।