
श्री कृष्ण की लीला अपरंपार थी। उनकी लीलाओं ने कुछ ना कुछ सीख दी। कभी उनकी लीला का कुछ ना कुछ उद्देश्य जरूर था। कभी असत्य पर विजय पाने के लिए तो कभी लोगों के दुख दूर करने के लिए उन्हें छल प्रपंच से दूर करने के लिए। बात हो खुशी की तो भी कृष्ण लीला ने सिखाया और प्रेम करना भी कृष्ण ने ही सीखाया। जब भी कृष्ण के जीवन काल के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले उनकी लीलाएं ही होती हैं। इऩ्हीं लीलाओं में दो बार श्री कृष्ण को किन्नर बनना पड़ा था। पहली बार प्रेम के लिए मजबूरी थी जिसने उन्हें किन्नर बनाया और दूसरी हार धर्म के लिए वे किन्नर बने थे। आइए जानते हैं पूरी बात...
प्यार के लिए बनें किन्नर
कथा के अनुसार एक बार देवी राधा अपने पर स्वयं पर बहुत मान हो गया। उस मान के कारण राधा का स्वभाव बदलने लगा था, सखियों द्वारा राधा को बहुत बार प्रयास किया गया समझाने का लेकिन राधा नहीं समझीं। सखियां जितना राधा को समझातीं राधा का मान उतना ही बढ़ता जा रहा था। भगवान श्रीकृष्ण राधा से मिलना चाह रहे थे लेकिन मिल नहीं पा रहे थे। ऐसे में सखियों की सलाह के बाद कान्हा ने किन्नर रुप बना लिया और नाम रखा श्यामरी सखी। श्यामरी सखी वीणा बजाते हुए राधा के घर के करीब आए तो राधा वीणा की स्वर लहरियों से मंत्रमुग्ध होकर घर से बाहर आयीं और श्यामरी सखी के अद्भुत रूप को देखकर देखती रह गईं। राधा ने श्यामरी सखी को अपने गले का हार भेंट करना चाहा तो कान्हा ने कहा देना है तो अपने मानरूप रत्न दे दो। यह हार नहीं चाहिए मुझे। राधा समझ गईं की यह श्यमरी कोई और नहीं श्याम हैं। राधा का मान समाप्त हो गया और राधा कृष्ण का मिलन हुआ।
धर्म के लिए बनें किन्नर
महाभारत युद्ध के दौरान पाण्डवों की जीत के लिए रणचंडी को प्रसन्न करना था। इसके लिए राजकुमार की बली दी जानी थी। ऐसे में अर्जुन के पुत्र इरावन ने कहा कि वह अपना बलिदान देने के लिए तैयार है। लेकिन इरावन ने इसके लिए एक शर्त रख दी, जिसके अनुसार वह एक रात के लिए विवाह करना चाहता था। लेकिन कोई भी कन्या किन्नर इरावन से विवाह करने को तैयार नहीं हुई, क्योंकि उसकी मौत निश्चित थी। अंत में भगवान श्री कृष्ण को ही मोहिनी रूप धारण करके अरवण से विवाह करना पड़ा। विवाह के अगली सुबह मोहिनी रूपी कृष्ण ने विधवा बनकर पति की मृत्यु पर विलाप भी किया। तभी से हर साल बड़ी संख्या में किन्नर तमिलनाडु के ‘कोथांदवर मंदिर’ में इस परंपरा को निभाते हैं। किन्नर अपने देवता इरावन से विवाह करके अगले दिन विधावा बन जाते हैं।
Published on:
24 Aug 2019 11:56 am
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