
सावन में स्वयं शिव जी भूलोक आकर करते हैं सृष्टि का संचालन, जानिए क्या है इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु इस सृष्टि का कार्यभार छोड़ कर योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसलिए इसके बाद इस सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ के हाथों में आ जाता है। वहीं मान्यता है कि सावन के महीने में स्वयं शिवशंभु भूलोक यानी धरती पर आकर यहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं। बता दें कि इस साल सावन मास की शुरुआत 14 जुलाई 2022, गुरुवार से हो रही है। तो आइए जानते हैं भोलेनाथ के धरती पर आने से जुड़ी पौराणिक कथा...
कहां रहते हैं शिव जी सावन के पूरे माह?
पौराणिक कथा के अनुसार श्रावण मास में भोलेनाथ संपूर्ण परिवार के साथ अपने ससुराल जाते हैं जो कि हरिद्वार के कनखल में है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा हरिद्वार के कनखल में एक यज्ञ का आयोजन किया गया था। उन्होंने इस यज्ञ में शिव जी को भी बुलाया था। तब इस यज्ञ के दौरान जब सती के पिता दक्ष प्रजापति द्वारा शिव जी का अपमान किया गया था तो उस यज्ञ में ही देवी सती ने अपने प्राणों की आहुति दे दी।
इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव के वीरभद्र रूप ने दक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग कर दिया था। फिर देवताओं के बहुत प्रार्थना करने पर भोलेनाथ ने दक्ष प्रजापति को बकरे का सिर लगाकर पुनः जीवित किया था। इसके बाद राजा दक्ष ने अपने द्वारा शिवजी के अपमान की माफी मांगते हुए भोलेनाथ से वचन लिया कि वे हर वर्ष सावन के महीने में उनके यहां निवास करने आएंगे और अपनी सेवा का मौका देंगे।
तब से ही माना जाता है कि हर साल श्रावण मास में कैलाश से शिवजी सपरिवार भूलोक के कनखल में आकर पूरे महीने यही विराजमान रहते हैं और ब्रह्मांड का संचालन करते हैं।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
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Updated on:
13 Jul 2022 05:07 pm
Published on:
13 Jul 2022 04:59 pm
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