
मान्यता- भोलेनाथ को प्रिय हैं ये मंत्र, आत्मिक शांति और सुख-समृद्धि के लिए सोमवार के दिन करें इन मंत्रों का जाप
Shiva Mantra Jaap: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत बहुत फलदायी बताए गए हैं। साथ ही भगवान शिव को सभी देवताओं में सबसे सरल स्वभाव का माना जाता है जो आसानी से अपने भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान देते हैं। कई पुराणों तथा धर्म ग्रंथों में भी भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के कई उपाय, पूजा विधि, मंत्र आदि का वर्णन मिलता है। ऐसे में मान्यता है कि सोमवार के दिन इन मंत्रों के जाप से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है और भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं...
शिव पंचाक्षर मंत्र- "ॐ नमः शिवाय"
भोलेनाथ की पूजा करते समय अक्सर लोग इसी मंत्र का जाप करते हैं लेकिन आपको बता दें कि यह कोई साधारण मंत्र नहीं हैं। यह शिव पंचाक्षर मंत्र है जिसकी उत्पत्ति मनुष्य जाति की कल्याण के लिए हुई थी। शास्त्रों के अनुसार शिव पंचाक्षर मंत्र के जाप से जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही इस मंत्र के जाप से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं।
शिव नामावली मंत्र- माना जाता है कि सोमवार को शिव जी की पूजा करते समय नामावली मंत्रों के जाप से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं। साथ ही 108 बार नामावली मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
ॐ शिवाय नम:
ॐ महेश्वराय नम:
ॐ शंभवे नम:
ॐ पिनाकिने नम:
ॐ शशिशेखराय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ विरूपाक्षाय नम:
ॐ कपर्दिने नम:
ॐ निललोहिताय नम:
ॐ शंकराय नम:
ॐ शूलपाणये नम:
ॐ खट्वांगिने नम:
ॐ विष्णुबल्लभाय नम:
ॐ शिपिविष्टाय नम:
ॐ अंबिकानाथाय नम:
ॐ श्रीकण्ठाय नम:
ॐ भक्तवत्सलाय नम:
ॐ भवाय नम:
ॐ शर्वाय नम:
ॐ त्रिलोकेशाय नम:
ॐ शितिकण्ठाय नम:
ॐ शिवाप्रियाय नम:
ॐ उग्राय नम:
ॐ कपालिने नम:
ॐ कामारये नम:
ॐ अन्धकासुर सूदनाय नम:
ॐ गंगाधराय नम:
ॐ ललताक्षाय नम:
ॐ कालकालाय नम:
ॐ कृपानिधये नम:
ॐ कृपानिधये नम:
ॐ भीमाय नम:
ॐ परशुहस्ताय नम:
ॐ मृगपाणये नम:
ॐ जटाधराय नम:
ॐ कैलासवासिने नम:
ॐ कवचिने नम:
ॐ कटोराय नम:
ॐ त्रिपुरान्तकाय नम:
ॐ वृषांकाय नम:
ॐ वृषभारूढय नम:
ॐ भस्मोद्धूलित विग्रहाय नम:
ॐ सामप्रियाय नम:
ॐ स्वरमयाय नम:
ॐ त्रयीमूर्तये नम:
ॐ अनीश्वराय नम:
ॐ सर्वज्ञाय नम:
ॐ परमात्मने नम:
ॐ सोमसूर्याग्निलोचनाय नम:
ॐ हविषे नम:
ॐ यज्ञमयाय नम:
ॐ सोमाय नम:
ॐ पंचवक्त्राय नम:
ॐ सदाशिवाय नम:
ॐ विश्वेश्वराय नम:
ॐ विरभद्राय नम:
ॐ गणनाथाय नम:
ॐ प्रजापतये नम:
ॐ हिरण्यरेतसे नम:
ॐ दुर्धर्षाय नम:
ॐ गिरिशाय नम:
ॐ अनघाय नम:
ॐ भुजंगभूषणाय नम:
ॐ भर्गाय नम:
ॐ गिरिधन्वने नम:
ॐ गिरिप्रियाय नम:
ॐ कृत्तिवाससे नम:
ॐ पुरारातये नम:
ॐ भगवते नम:
ॐ प्रमथाधिपाय नम:
ॐ मृत्युंजयाय नम:
सूक्ष्मतनवे नम:
ॐ जगद्यापिने नम:
ॐ जगद्गुरवे नम:
ॐ व्योमकेशाय नम:
ॐ महासेनजनकाय नम:
ॐ चारुविक्रमाय नम:
ॐ रुद्राय नम:
ॐ भूतपतये नम:
ॐ स्थाणवे नम:
ॐ अहिर्बुध्न्याय नम:
ॐ दिगंबराय नम:
ॐ अष्टमूर्तये नम:
ॐ अनेकात्मने नम:
ॐ सात्विकाय नम:
ॐ शुद्दविग्रहाय नम:
ॐ शाश्वताय नम:
ॐ खण्डपरशवे नम:
ॐ अजाय नम:
ॐ पाशविमोचकाय नम:
ॐ मृडाय नम:
ॐ पशुपरये नम:
ॐ देवाय नम:
ॐ महादेवाय नम:
ॐ अव्ययाय नम:
ॐ हरये नम:
ॐ भगनेत्रभिदे नम:
ॐ अव्यक्ताय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ दक्षाध्वरहराय नम:
ॐ पूषदन्तभिदे नम:
ॐ अव्यग्राय नम:
ॐ सहस्राक्षाय नम:
ॐ सहस्रपदे नम:
ॐ अपवर्गप्रदाय नम:
ॐ अनन्ताय नम:
ॐ तारकाय नम:
ॐ परमेश्वराय नम:
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
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Updated on:
15 May 2022 04:12 pm
Published on:
15 May 2022 04:11 pm
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