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मिलाद-उन-नबी से जुड़ी इन खास बातों को आप जानते हैं क्या?

पैगंबर हजरत मोहम्मद खुदा के आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी हैं

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मिलाद-उन-नबी का त्यौहार मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है। इस बार यह त्यौहार 9-10 नवंबर को मनाया जायेगा। इस त्यौहार को पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म की खुशी में मनाया जाता है।


कहा जाता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद खुदा के आखिरी संदेशवाहक और सबसे महान नबी हैं। बताया जाता है कि उन्हें खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल द्वारा कुरान का संदेश दिया था।


इसके अलावा पैगंबर हजरत मोहम्मद इस्लाम धर्म के संस्थापक भी माने जाते हैं। यही कारण है कि मुस्लिम समुदाय के लोग इनके लिए हमेशा परम आदर भाव रखते हैं। आज हम आपको पैगंबर हजरत मोहम्मद और मिलाद-उन-नबी से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं।


इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, इस्लाम के तीसरे महीने यानी रबी-अल-अव्व की 12वीं तारीख को 571 ई में पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था।

पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब था। उनका जन्म मक्का शहर में हुआ था।

बताया जाता है कि मक्का के पास हीरा नाम की गुफा में पैगंबर हजरत मोहम्मद को ज्ञान प्राप्त हुआ था, जिसके बाद ही उन्होंने कुरान में लिखी शिक्षा का उपदेश दिया।

पैगंबर हजरत मोहम्मद की मां अमीना बिन्त वहाब और पिता अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुतालिब थे। पैगंबर मोहम्मद ने 25 साल की उम्र में खदीजा ( 40 साल ) नाम की विधवा से पहली शादी की थी।

पैगंबर मुहम्मद से खदीजा को एक बेटी फातिमा हुई। फातिमा, पैगंबर मोहम्मद की इकलौती संतान थी।

बताया जाता है पैगंबर ने कुल 11 शादियां की थी। उनकी बीवीयों के नाम... ख़दीजा बिन्त खुवायलद, साव्दाह बिन्त जामा, आएशा बिन्त अबु बकर, हफसाह बिन्त उमर, जैनब बिन्त ख़ुजाइमाह, हिन्द बिन्त अबी उम्यया (उम्म सलामा), जैनब बिन्त जाहश, जुवाइरियाह बिन्त अल-हरीथ, रमला बिन्त अबु सुफियान, सफियाह बिन्त हुयाई इब्न अख्ताब, मुहम्म बिन अल हरीथ

बताया जाता है कि पैगंबर ने जितनी शादियां की उनमें से ज्यादातर औरतें पहले से शादीशुदा थीं और उनके पहले पतियों से बच्चे थे। पैगंबर से शादी करने के बाद जिसने भी बच्चे को जन्म दिया, वह बच्चा बचा नहीं। सिवाय खदीजा से जन्मी बेटी फातिमा के।

मुसलमानों के लिए बड़ा त्योहार माने जाने वाले इस दिन को लेकर मुस्लिम समाज में अलग-अलग मत है। शिया और सुन्नी इस दिन को लेकर अपने अपने मत रखते हैं लेकिन मनाने वाले इस दिन को बड़े धूम-धाम से मनाते हैं।

सुन्नी मुसलमान इस दिन को हजरत मोहम्मद के वचनों को पढ़कर उन्हें याद करते हैं। वहीं, शिया मुसलमान उन्हें अपना उत्तराधिकारी मानते हैं।

मिलाद-उन-नबी के दिन रात भर प्रार्थनाएं चलती हैं। इस दिन बड़े-बड़े जुलूस भी निकाले जाते हैं।