
One of the powerful mantra of shri ganesh ji
सनातन धर्म में श्री गणेश को आदि पंच देवों मेंं से एक देव और प्रथम पूज्य देव माना गया है। वहीं सप्ताह में इनका दिन बुधवार माना जाता है। दरअसल गजानन गणपति का ध्यान आते ही मन में स्वत: ही ऐसा अनुभव होने लगता है कि समस्त संकटों का नाश होने वाला है।
यूं तो भगवान शिव की तरह ही श्री गणेश जी भी बड़ी ही आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं परन्तु कुछ मंत्र और तंत्र प्रयोग इस प्रक्रिया में बड़े चमत्कारी सिद्ध होते हैं और चुटकी बजाते अपना असर दिखाने लगते हैं। ऐसा ही एक मंत्र गणपति गायत्री मंत्र जिसे बहुत ही बड़े संकट के समय प्रयोग किया जाता है।
गणेश गायत्री मंत्र : ऐसे समझें
यह वास्तव में गायत्री मंत्र में ही गणेश जी के मंत्रों को जोड़कर बना हुआ है। आम तौर पर इसका प्रयोग किसी बड़े अनुष्ठान के समय ही किया जाता है अथवा तांत्रिक बड़ी विलक्षण सिद्धियां पाने की इच्छा से इस मंत्र का प्रयोग करते हैं।
इस मंत्र का प्रयोग बहुत ही साधारण है परन्तु इसे करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है, जिनकी पालना न करने पर यह लाभ के स्थान पर हानि भी दे सकता है। गणेश गायत्री मंत्र इस प्रकार है...
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
ऐसे करें इस मंत्र का पाठ...
सुबह सूर्योदय से पूर्व जाग कर स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त हो कर नए स्वच्छ वस्त्र पहनें। वस्त्र पीले या गेरुएं रंग के होने चाहिए। इसके बाद घर के पूजा कक्ष अथवा किसी मंदिर में एक आसन पर बैठ कर गणेश जी का आह्वान करें।
उनकी पूजा करें तथा सिंदूर, दर्वा, गंध, अक्षत (चावल), सुगंधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, फल, प्रसाद आदि अर्पित करें। इसके बाद उपरोक्त गणेश गायत्री मंत्र का 21 बार जप करें। कुछ ही दिनों में आपको इसका असर दिखाई देगा और आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
मंत्र के प्रयोग में ये सावधानियां हैं आवश्यक...
इस मंत्र के प्रयोग में ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। साथ ही मांस, मदिरा, अंडे, नशा आदि से पूरी तरह से दूर रहना होगा, अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।
साथ ही इस मंत्र का प्रयोग से कोई भी बुरी इच्छा पूरी करने के लिए नहीं किया जा सकता वरना स्वयं पर कोई बहुत बड़ा संकट आ सकता है। वहीं यदि आप पर कोई बड़ी विपत्ति आ जाए तो उसे टालने के लिए ही इस मंत्र के प्रयोग का सहारा लिया जा सकता है।
Published on:
02 Mar 2021 12:23 pm
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