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Paush Purnima 2023: इस साल बन रहे दुर्लभ योग, जान लें पौष पूर्णिमा डेट

नव वर्ष 2023 की पहली पूर्णिमा यानी Paush Purnima 2023 शुक्रवार छह जनवरी को पड़ रही है। पूर्णिमा पूजा विधि, दुर्लभ योग, महत्व आदि जानने के लिए पढ़ें रिपोर्ट।

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Shailendra Tiwari

Dec 30, 2022

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पूर्णिमा पूजा विधि

भोपाल. नये साल की पहली पूर्णिमा यानी पौष पूर्णिमा 2023 छह जनवरी को पड़ रही है। इसे शाकंभरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन तीर्थ स्नान, दान, पूजा पाठ का विशेष महत्व है। इस साल पौष पूर्णिमा 2023 पर कई दुर्लभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस पूर्णिमा पर पूजा पाठ का महत्व बढ़ जाता है।

Paush Purnima 2023: हर महीने के दोनों पक्षों का पंद्रहवां दिन खास होता है। कृष्ण पक्ष के पंद्रहवें दिन को अमावस्या तो शुक्ल पक्ष के पंद्रहवें दिन को पूर्णिमा कहते हैं। पूर्णिमा के बाद से ही हिंदी कैलेंडर का अगला महीना शुरू होता है। इसका अर्थ है कि पौष पूर्णिमा 2023 यानी छह जनवरी 2023 के बाद माघ महीना शुरू हो जाएगा। पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ नारायण और लक्ष्मीजी की पूजा होती है। इस दिन लोग सत्यनारायण भगवान की कथा भी सुनते हैं। मान्यता है कि इस कथा को सुनने से व्यक्ति को सांसारिक सुख तो मिलते ही हैं, उसे सद्गति प्राप्ति होती है।

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पौष पूर्णिमा 2023: पौष पूर्णिमा 2023 इस साल शुक्रवार को पड़ रहा है। पूर्णिमा के साथ शुक्रवार भी माता लक्ष्मी की पूजा का दिन है। इसलिए यह दिन खास हो गया है। पुरोहितों का कहना है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा से विशेष कृपा प्राप्त होगी। घर में खुशी, धन, संपदा आएगी।

प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि पौष पूर्णिमा छह जनवरी 2023 को सुबह 2.14 बजे शुरू हो रही है, और सात जनवरी सुबह 4.37 बजे संपन्न हो रही है। इस दिन चंद्रोदय शाम 4.32 बजे होगा, जिससे अगर कोई व्यक्ति चंद्रमा की पूजा करता है तो उसे विशेष फल मिलता है। इसी दिन सुबह 11.33 से दोपहर 12.15 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इस दिन ब्रह्म, इंद्र और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। इससे यह पूर्णिमा और भी खास हो गई है।

इंद्र योगः छह जनवरी 2023, सुबह 8.11 से अगले दिन सात जनवरी 2023 सुबह 8.55 तक
ब्रह्म योगः 5 जनवरी 2023 सुबह 7.34 बजे से छह जनवरी सुबह 8.11 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 12.14 AM से सात जनवरी 6.38 AM तक

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पौष पूर्णिमा पूजा विधिः आचार्य प्रदीप का कहना है कि पूर्णिमा के दिन इस तरह से पूजा करनी चाहिए।


1. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में गंगाजल डालकर या गंगाघाट पर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. लक्ष्मी नारायण की हल्दी, रोली, मौली, पुष्प, फल, मिठाई, पंचामृत (तुलसी दल जरूर रहे), नैवेद्य से पूजा करें.
3. सत्य नारायण की कथा पढ़ें।


4. भगवान विष्णु का भजन करें।
5. शाम के वक्त चंद्रमा को दूध में चीनी, चावल मिलाकर अर्घ्य दें।
6. आधी रात को माता लक्ष्मी की पूजा करें।