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Pitru paksha 2019: जानें कब से शरु हो रहे हैं पितृ पक्ष, कब करें श्राद्ध और किन नियमों का करें पालन

पितृपक्ष में इन नियमों का पालन जरुर करें, वरना नाराज हो जाते हैं पितृ

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भोपाल

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Tanvi Sharma

Sep 02, 2019

ज्योतिषियों के अनुसार जिन लोगों को पितृ दोष होता है उनके जीवन में बहुत सी बाधाएं आती हैं। इसलिए पितरों को प्रसन्न व मुक्ति दिलाने के लिए इस समय श्राद्ध कीए जाते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर पितृ नाराज हो जाएं तो घर के सदस्यों की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं।

अश्विन मास ( ashwin maas ) के कृष्ण पक्ष में पड़ता है पितृ पक्ष

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं। वहीं श्राद्ध पक्ष की शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है और इसकी समाप्ति अमावस्या पर। इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर पूर्णिमा के दिन से शुरु होकर 28 सितंबर अमावस्या के दिन तक रहेंगे। पितृ पक्ष के दौरान कोई भी नया काम शुरु नहीं किया जाता और ना ही नए वस्त्रों की खरीदारी होती है। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे कार्य हैं जिन्हें करना श्राद्ध पक्ष में मना है। आइए जानते हैं कौन से हैं वे काम..

पितृपक्ष में इन नियमों का पालन जरुर करें

1. शास्त्रों के मुताबिक इन दिनों मे कोई भी शुभ कार्य न करें।

2. आप इस दौरान किसी वाहन या नए सामान की खरीददारी न करें।

3. इसके अलावा मांसाहार का सेवन आप बिल्कुल ही न करें।

4. मान्यता है कि पितृ पक्ष के पखवारे में पितृ किसी भी रूप में आपके घर में आते हैं। अतः इस एक पखवारे में किसी भी जीव का अनादर नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने द्वार पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन देकर सत्कार करना चाहिए।

5. पितृ पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने वाले व्यक्ति को सख्ती से ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए।

7. शास्त्रों के अनुसार इस दिनों खान-पान का भी ध्यान रखना चाहिए। पितृ पक्ष में कुछ चीजों को खाना वर्जित माना जाता है, जैसे- चना, मसूर, जीरा, काला नमक, लौकी, खीरा, सरसों का साग आदि चीज़ें नहीं खाना चाहिए।

8. धार्मिक ग्रंथों वेदों और पुराणों में वर्णित है कि श्राद्ध कर्म अगर स्थान विशेष पर किये जाते हैं तो ये विशेष फल देतें हैं। इन स्थानों में गया, प्रयाग, बद्रीनाथ में श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

9. जो लोग किसी कारण वश इन पवित्र तीर्थों पर श्राद्ध कर्म नहीं कर सकते, वो अपने घर आँगन में ही किसी पवित्र स्थान पर तर्पण और पिंड दान कर सकतें हैं।

10. लेकिन तर्पण और पिंड दान के लिए अपने भूखंड का ही उपयोग करना चाहिए। किसी दूसरे के द्वार पर या दूसरे व्यक्ति के दरवाजे पर किया गया पिंड दान पितरों को नहीं मिलता।

11. पितृ पक्ष के पिंड दान के लिए काले तिल का विशेष महत्व है।

12. अतः श्राद्ध कर्म के निमित्त काले तिल का ही प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए भूलकर भी सफ़ेद तिल उपयोग में नहीं लाना चाहिए।

13. पितृ पक्ष में ब्राम्हणो को भोजन करने का विधान है। ऐसा माना जाता है की ब्राम्हणों को दिया गया दान पितरों को मिलता है।

14. ब्राम्हण चयन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ब्राम्हण शुद्ध सात्विक और धार्मिक विचारों वाला हो।

15. पितृ पक्ष में गाय, ब्राम्हण, कुत्ते, चीटी, बिल्ली और कौवों को यथासंभव भोजन करना चाहिए। तथा इन सभी को हानि नहीं पहचानी चाहिए।