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100 से ज्यादा दरवाजों की तैयारी, 14 होंगे स्वर्ण जडि़त

अयोध्या धाम : हैदराबाद में नागर शैली में बन रहे हैं राम मंदिर के द्वार

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100 से ज्यादा दरवाजों की तैयारी, 14 होंगे स्वर्ण जडि़त

100 से ज्यादा दरवाजों की तैयारी, 14 होंगे स्वर्ण जडि़त

हैदराबाद. अयोध्या के राम मंदिर के लिए 100 से ज्यादा भव्य दरवाजे चारमीनार के शहर हैदराबाद में तैयार किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र की सागौन (टीकवुड) की लकड़ी के इन दरवाजों को नागर शैली में डिजाइन किया जा रहा है। यह मंदिर वास्तुकला की उत्तर भारतीय शैली है। इसमें नक्काशी के जरिए कमल, मोर और अन्य पक्षियों के चित्र उकेरे जाते हैं।

दरवाजे तैयार कर रही हैदराबाद की कंपनी के मुताबिक 18 दरवाजे करीब-करीब पूरे हो चुके हैं। बाकी 10-15 दिन में पूरे हो जाएंगे। दरवाजों के साथ राम मंदिर के लिए 100 से ज्यादा खिड़कियां भी बनाई जा रही हैं। राम मंदिर के गर्भ गृह के 14 दरवाजे विशेष रूप से आकर्षक होंगे। इन घुमावदार दरवाजों पर तांबे की परत चढ़ाई जा रही है। बाद में इन्हें स्वर्ण जडि़त किया जाएगा। इन पर वैभव के प्रतीक गजराज, कमल और स्वागत मुद्रा में देवी के चित्र होंगे। ये दरवाजे आठ फीट ऊंचे, 12 फीट चौड़े और छह इंच मोटे होंगे। इन्हें कन्याकुमारी के कारीगर तैयार कर रहे हैं। दरवाजों की कोटिंग का काम दिल्ली में होगा। वहां से इन्हें अयोध्या भेजा जाएगा।

3000 साल तक सलामत रहेंगे द्वार

सागौन की लकड़ी 3,000 साल तक चलने के लिए जानी जाती है। इस पर मौसम और दीमक का असर नहीं होता। सर्वोत्तम लकड़ी चुनने के लिए महाराष्ट्र के बल्हारशाह जंगल में सागौन के ऐसे पेड़ खंगाले गए, जो 100 साल पुराने हों। पेड़ मिलने के बाद यह भी परखा गया कि उनकी लकड़ी में दरारें, गांठें और ज्यादा रस नहीं हो। बेहतरीन पेड़ों की लकड़ी राम मंदिर के दरवाजों के लिए चुनी गई।

गुप्त काल में शुरू हुई थी नागर शैली

सभी दरवाजों पर भारतीय संस्कृति की झांकियां होंगी। मंदिर वास्तुकला की नागर शैली गुप्त काल में शुरू हुई थी और मुगलों के भारत आने तक जारी रही। वास्तुशास्त्र के मुताबिक नागर शैली के मंदिर आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक चतुष्कोणीय होते हैं। भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर नागर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है।