27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Raksha Bandhan 2022 Mantra: भाइयों को राखी बांधते समय करें इस मंत्र का जाप, विष्णु पुराण में भी मिलता है जिक्र

रक्षाबंधन एक बहुत ही खास त्यौहार है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और अनोखे रिश्ते की याद दिलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधते समय बहनों को इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

2 min read
Google source verification
rakshabandhan 2022, rakshabandhan mantra, rakhi ka mantra, rakhi bandhne ka mantra, rakhi matra hindi mein, raksha bandhan 2022 date, raksha bandhan story,

Raksha Bandhan 2022 Mantra: भाइयों को राखी बांधते समय करें इस मंत्र का जाप, विष्णु पुराण में भी मिलता है जिक्र

हिंदू धर्म में मंत्र, पूजा, व्रत एवं त्योहार सभी का बड़ा महत्व बताया गया है। वहीं अलग अलग मौकों पर विशेष पूजा और मंत्र जाप का भी विधान है। राखी का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के अनोखेपन और प्रेम की याद दिलाता है। यह त्योहार इस साल अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस प्रकार रक्षाबंधन की थाली में कुछ विशेष चीजों का होना आवश्यक है उसी तरह भाइयों को राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करना भी शुभ माना गया है। तो आइए जानते हैं राखी मंत्र और उसे पढ़ने के पीछे की धार्मिक मान्यता...

राखी बांधते समय ये मंत्र पढ़ें
‘येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:’
अर्थ- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मंत्र का अर्थ यह है कि, "जिस प्रकार रक्षा सूत्र से दानवों के पराक्रमी राजा बलि को बांधा गया था उसी प्रकार इस रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधती हूं जो तुम्हारी रक्षा करे। हे रक्षा सूत्र! तुम चलायमान न हो अर्थात स्थिर रहना।"

विष्णु पुराण से संबंध
धर्म शास्त्रों के अनुसार राखी पर पढ़े जाने वाले इस मंत्र का जिक्र विष्णु पुराण तथा भविष्य पुराण में भी मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि एक दानवीर राजा का और भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था। एक बार राजा बलि ने यज्ञ का आयोजन किया तो उसकी परीक्षा लेने के लिए विष्णु भगवान स्वयं वामन अवतार में आए और राजा बलि से दान में तीन पग भूमि देने के लिए कहा।

लेकिन भगवान विष्णु ने दो पग में ही पूरी धरती और आकाश को नाप लिया। तब राजा बलि इस बात को जान गए कि भगवान उनकी परीक्षा लेने आए हैं। इसके बाद तीसरे पग के लिए राजा बलि ने विष्णु जी जो वामन अवतार में आए थे उनका पैर अपने सर पर रखवा लिया। अपना सब कुछ दान में देने के बाद राजा बलि ने प्रार्थना की कि ईश्वर आप मेरे साथ चलकर पाताल लोक में रहें। भगवान विष्णु राजा बलि की बात मानकर पाताल लोक चले गए। बहुत समय तक विष्णु भगवान को ना पाकर लक्ष्मी जी परेशान होने लगीं।

भगवान विष्णु को वापस लाने के लिए लक्ष्मी जी ने एक गरीब महिला का वेश धारण कर लिया और राजा बलि के पास पहुंची। महिला की गरीबी देखकर राजा बलि ने उन्हें अपने साथ ही रख लिया और बहन मानकर देखरेख करने लगा। जब श्रावण मास की पूर्णिमा आई तो गरीब महिला के रूप में लक्ष्मी जी ने राजा बलि की कलाई पर कच्चा धागा बांध दिया। तब राजा बलि ने अपनी बहन को कुछ देने के लिए कहा।

तब जाकर लक्ष्मी जी अपने असली रूप में आईं। लक्ष्मी जी ने राजा बलि से कहा कि मैं यहां पर भगवान विष्णु को वापस बैकुंठ ले जाने आई हूं। गरीब महिला की सच्चाई पता लगने के बाद राजा बलि अपने वचन पर कायम रहे और भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ वैकुंठ जाने दिया। लेकिन जाने से पहले विष्णु जी ने राजा बलि को यह वरदान दिया कि वह हर वर्ष के 4 महीने पाताल लोक में निवास करने आया करेंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं चार महीनों को चातुर्मास कहते हैं जिस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं।

यह भी पढ़ें: सामुद्रिक शास्त्र: अपने पैरों के आकार से जानें जीवन की ये खास बातें