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महाशिवरात्रि महत्वः धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने वैराग्य अपना लिया था, बाद में सृष्टि के कल्याण के लिए आदिशक्ति ने पार्वती अवतार लिया, शिव की प्राप्ति के लिए तपस्या की और फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव से विवाह किया यानी भगवान शिव पुनः गृहस्थ जीवन में लौटे। महाशिवरात्रि इसी महामिलन का उत्सव है, जिसे भक्त व्रत-उपवास रखकर मनाते हैं। इस दिन भजन कीर्तन भी करते हैं। मान्यता है कि इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
Mahashivratri 2023 Date: महाशिवरात्रि 2023 शनिवार 18 फरवरी को पड़ रही है। दृक पंचांग के अनुसार इस दिन निशिता काल पूजा का समय 12.09 एएम से 19 फरवरी 12.59 एएम तक है। शिवरात्रि का पारण 19 फरवरी रविवार को सुबह 6.50 एएम से 3.26 पीएम के बीच किया जा सकेगा।
खास बात है इसी दिन शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat) भी पड़ रहा है, इससे महाशिवरात्रि का महत्व बढ़ गया है। इस दिन शिव परिवार, भगवान शिव, माता पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा से मानसिक शांति के साथ जीवन में बाधा डाल रही नकारात्मक शक्तियों का भी नाश होता है।
शिवरात्रि पर अद्भुत संयोग (Rare Coincidence Mahashivratri 2023): बता दें कि इस साल महाशिवरात्रि पर ही शनि प्रदोष व्रत ( (Shani Pradosh Vrat)) पड़ रहा है। इस अद्भुत संयोग से पुत्र प्राप्ति योग नाम से शुभ योग बन रहा है। मान्यता है कि इस योग के प्रभाव से ऐसे जातक जिनको पुत्र प्राप्ति में बाधा आ रही है, उन्हें पुत्र प्राप्ति होगी। इसके अलावा जातकों को दूसरे विशेष लाभ भी मिलेंगे।
रात में होती है शिवरात्रि की पूजाः जानकारों के अनुसार शिवरात्रि की पूजा रात में की जाती है। रात में चार प्रहर होते हैं। भक्त इनमें से किसी एक प्रहर या चारों प्रहर में पूजा कर आराध्य शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। जानकारों के अनुसार शिवरात्रि के दिन भक्तों को शाम को स्नान के बाद ही पूजा करनी चाहिए। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि अस्त होने के मध्य व्रत समापन करना चाहिए। वहीं एक मत चतुर्दशी तिथि के बाद व्रत छोड़ने की बात कहता है।
Updated on:
24 Jan 2023 01:59 pm
Published on:
24 Jan 2023 01:56 pm
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