नई दिल्लीPublished: May 11, 2022 07:29:54 pm
Tanya Paliwal
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है। हर गुरुवार को भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा अर्चना से जीवन में सुख-शांति बनी रहने के साथ ही धन और विवाह से जुड़े कार्य सफल होने की मान्यता है।
Guruwar Vrat Katha: गुरुवार का दिन बृहस्पति देव और भगवान विष्णु को समर्पित है। माना जाता है कि गुरुवार के दिन बृहस्पति की पूजाअर्चना से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बृहस्पति ग्रह को धन, ऐश्वर्य, वैभव, सुख शांति, विवाह और संतान आदि का कारक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने वाले लोगों को कार्यों में सफलता प्राप्त होने के साथ ही बृहस्पति देव और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो अब आइए जानते हैं गुरुवार व्रत विधि और कथा...
गुरुवार व्रत की विधि-
व्रत करने वाले जातकों को सुबह जल्दी उठकर एवं स्नान आदि से निवृत्त होकर बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिए। इस दिन पूजा में पीले रंग के कपड़े पहनें। बृहस्पति देव का पूजन करते समय पीले रंग के फूल, पीली मिठाई, चने की दाल, मुनक्का, पीले अक्षत और हल्दी अर्पित की जाती है। इसके बाद पूरे मन से एकाग्र होकर बृहस्पति देव से अपनी इच्छा पूर्ति की प्रार्थना करें।
गुरुवार के व्रत में केले के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है। इसके लिए आप जल में थोड़ा सी हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं। फिर चने की दाल व मुनक्का अर्पित करें और फिर दीपक जलाकर केले के पेड़ की आरती करें। पूजा के पश्चात गुरुवार व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। गुरुवार के व्रत में एक समय ही भोजन किया जाता है। व्रत खोलते समय आप खाने में पीले रंग की खाद्य वस्तुएं, फल, मिठाई और चने की दाल का सेवन कर सकते हैं। साथ ही ध्यान रखें कि इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है।