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इस स्रोत के नियमित पाठ से मिलती है जीवन के हर संकट से सुरक्षा

शास्त्रों में भगवान गणेश को विघ्न और दुखहर्ता कहा जाता है। मान्यता है कि प्रथम पूज्य गणपति जी की पूजा से धन, विद्या, स्वास्थ्य समेत सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं ज्योतिष अनुसार जीवन के सभी संकटों का नाश करने वाले इस स्रोत का नियमित पाठ बहुत लाभकारी होता है।

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इस स्रोत के नियमित पाठ से मिलती है जीवन के हर संकट से सुरक्षा

हिंदू धर्म में गणों के स्वामी भगवान गणेश की पूजा बहुत फलदायी मानी गई है। उन्हें विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है। मान्यता है कि जो भक्त गणपति जी की नियमित पूजा करता है उसे जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। साथ ही ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 'श्री संकटनाशन गणेश स्रोत' का नियमित पाठ करने से यह जीवन के हर संकट से सुरक्षा करता है...

श्री संकटनाशनगणेशस्तोत्रम्

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।।1।।

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।।
तृतीयं कृष्णपिङ्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।2।।

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।3।।

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।4।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।5।।

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।6।।

जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।7।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत् ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ।।8।।

इति श्री नारदपुराणे संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम्।

संकटनाशनगणेशस्तोत्रम् महत्व- मान्यता है कि संकटनाशनगणेशस्तोत्रम् के नियमित पाठ से मनुष्य को सभी सिद्धियाँ, आयु, धन और विद्या की प्राप्त होती है। इसके साथ ही जो मनुष्य सुबह, दोपहर, शाम तीनों पहर गणपति जी के बारह नामों वक्रतुण्ड, एकदन्त, कृष्ण पिंगाक्ष, गजवक्र, लम्बोदरं, छठा विकट, विघ्नराजेन्द्र, धूम्रवर्ण, भालचन्द्र, विनायक, गणपति और गजानन का स्मरण करता है उसे जीवन में किसी चीज का भय नहीं रहता।

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