
Rishi Panchami 2022 Vrat Katha: ऋषि पंचमी में पूजन के बाद जरूर पढ़ें ये व्रत कथा
Rishi Panchami Vrat Katha: ऋषि पंचमी का व्रत कल 1 सितंबर 2022 को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सप्तऋषियों के पूजन और व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषि पूजन के बाद घी, शक्कर, केला और दक्षिणा आदि किसी ब्राह्मण को दान करने का विधान है। इस व्रत में पूरे दिन में एक बार भोजन किया जाता है और व्रत का पारण फल तथा मेवे से किया जा सकता है। वहीं मान्यता है कि जो महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत करती हैं उन्हें पूजा के बाद यह व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए...
ऋषि पंचमी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सिताश्व नामक राजा ने ब्रह्माजी से पूछा कि- 'पितामह, सबसे श्रेष्ठ और तुरंत फल देने वाला व्रत कौन सा है?' तब ब्रह्मा जी ने बताया कि- 'सभी व्रतों में उत्तम और पापों का नाश करने वाला ऋषि पंचमी का व्रत है। उन्होंने आगे कहा कि- 'हे राजन! विदर्भ देश में एक उत्तक नाम का सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम सुशीला था जो कि बहुत पतिव्रता थी। ब्राह्मण के एक पुत्र और एक पुत्र थी। जब उसकी पुत्री विवाह के उपरांत विधवा हो गई तो दुखी ब्राह्मण और उसकी पत्नी सुशीला अपनी पुत्री के साथ ही गंगा के किनारे पर एक कुटिया बनाकर रहने लगे। कुछ समय बाद एक दिन सोते समय ब्राह्मणी ने देखा कि उसकी बेटी के शरीर में कीड़े पड़ गए हैं। तब ब्राह्मण उत्तक को ध्यान लगाने पर पता चला कि उसकी बेटी पिछले जन्म में एक ब्राह्मण की पुत्री थी, लेकिन रजस्वला के दौरान वह पूजा के बर्तनों को छू लेती थी। साथ ही उसकी पुत्री ने कभी ऋषि पंचमी का व्रत भी नहीं किया था। इस वजह से उसकी ये हालत हुई है। फिर ब्राह्मण के बताए अनुसार उसकी पुत्री ने इस जन्म में कष्टों से मुक्ति पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत और पूजन किया। इस व्रत को करने से उत्तक की बेटी के दोष दूर हो गए और उसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिला।'
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Published on:
31 Aug 2022 04:00 pm
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