26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इसलिए लगाया जाता है कुमकुम, जानें हैरान कर देने वाला ये कारण

शुभता और सौभाग्य में वृद्धि करता है कुमकुम

2 min read
Google source verification

भोपाल

image

Tanvi Sharma

May 22, 2019

kumkum

हिंदू व सनातन धर्म में सिंदूर यानि कुमकुम का विशेष महत्व माना जाता है। देवी देवताओं की पूजा में कुमकुम का उपयोग किया जाता है। लगभग सभी मांगलिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है। कुमकुम शुभता और शक्ति दोनों का प्रतिक होता है। सुहागिन महिलाओं के श्रृंगार में भी कुमकुम बहुत महत्व रखता है। हालांकि जहां इसका धार्मिक महत्व है, वहीं इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। आइए जानते हैं कुमकुम के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्वों के बारे में....

शुभता और सौभाग्य में वृद्धि करता है कुमकुम

सभी मांगलिक कार्यों व देवी देवताओं की पूजा में कुमकुम का विशेष महत्व माना जाता है। देवी मां की आराधना में विशेष रूप से कुमकुम का प्रयोग किया जाता है। कुमकुम को बहुत ही पवित्र व शुद्ध माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार कुमकुम स्त्रियों की सभी कामनाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। कुमकुम का लाल रंग शुभता, उत्साह, उमंग और साहस का प्रतीक है। माथे पर इसे लगाने से चित्त में प्रसन्नता आती है। रविवार के दिन तांबे के लोटे में कुमकुम और अक्षत डालकर प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य को अघ्र्य देने से आत्मविश्वास और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सोलह श्रृंगार से जुड़ा है कुमकुम

सुहागिन महिलाओं के सोलह श्रृंगार का संबंध सिर्फ उनकी सुंदरता से नहीं बल्कि घर की सुख और समृद्धि से भी जुड़ा हुआ है। सौभाग्य को बढ़ाने वाले इन सोलह श्रृंगार में कुमकुम का विशेष महत्व है। सुहागिन स्त्रियों द्वारा कुमकुम या सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना अत्यंत शुभ माना गया है।

कुमकुम

कुमकुम का वैज्ञानिक महत्व भी है। पूजा में प्रयोग लाए जाने वाले कुमकुम एक प्रकार की औषधि भी है। जिसका प्रयोग आयुर्वेद में त्वचा संबंधी विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है। माथे पर लगाए जाने वाले कुमकुम के प्रयोग से न सिर्फ सौंदर्य बढ़ता है बल्कि इससे मन की एकाग्रता भी बढ़ती है।