धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जहां-जहां माता सती के अंगों के टुकड़े गिरे थे, वे सभी स्थाना शक्तिपीठ बन गए। वैसे तो आप 51 शक्तिपीठों में से कई स्थानों के दर्शन किये होंगे लेकिन इनमें से 4 ऐसे शक्तिपीठ भी शामिल है, जिसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया।
आज हम आपको माता सती के 4 ऐसे रहस्यमयी शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आज भी अज्ञात है या यूं कहे तो लोग उससे अंजान हैं … कालमाधव शक्तिपीठ
51 शक्तिपिठों में शामिल कालमाधव शक्तिपीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां पर माता सती के बाएं कूल्हे गिरे थे। बताया जाता है कि यहां पर देवी सती कालमाधव और शिव असितानंद के नाम से विराजमान है। हालांकि अब तक ये पता नहीं चल पाया कि यह शक्तिपीठ कहां है। यह स्थान आज भी अज्ञात है।
रत्नावली शक्तिपीठ रत्नावली शक्तिपीठ के बारे में कहा जाता है कि यहां पर माता सती का कंधा गिरा था। इस शक्तिपीठ के बारे में आज तक भी पता नहीं चल पाया कि यह स्थान कहां है। यह स्थान आज भी अज्ञात है।
पंचसारग शक्तिपीठ रहस्यमयी शक्तिपीठों में शुमार पंचसारग शक्तिपीठ के बारे में बताया जाता है कि यहां पर देवी सती का निचला जबड़ा गिरा था। यहां माता सती को वरही कहा गया है। इसका जिक्र शास्त्रों में भी है लेकिन यह शक्तिपीठ कहां है, इससे लोग आज भी अनजान हैं।
लंका शक्तिपीठ
लंका शक्तिपीठ कहां है, यह रहस्य बरकरार है। बताया जाता है कि यहां पर देवी सती का कोई गहना गिरा था। यहां पर माता सती को इंद्राक्षी और शिव को रक्षेश्वर कहा जाता है। हालांकि इसकी वास्तविक स्थिति को लेकर लोग आज भी अंजान हैं।
लंका शक्तिपीठ कहां है, यह रहस्य बरकरार है। बताया जाता है कि यहां पर देवी सती का कोई गहना गिरा था। यहां पर माता सती को इंद्राक्षी और शिव को रक्षेश्वर कहा जाता है। हालांकि इसकी वास्तविक स्थिति को लेकर लोग आज भी अंजान हैं।