
Shri Ganesh ji
सनातन धर्म यानि हिंदुओं में भगवान शिव पुत्र श्री गणेश को प्रथम पूज्य देव माना गया है। ये एक ओर जहां विघ्नों का विनाश करते हैं, वहीं यहीं बुद्धि के दाता भी कहलाते हैं।
माना जाता है कि जब हर तरफ जीवन में दुख और संकट घेरने लगें और इनसे बचने का कोई मार्ग न दिखे तब गौरीपुत्र गजानन की आराधना तुरंत फल प्रदान करती है।
सात्विक साधनाओं में भगवान गणेश की साधना को अत्यंत सरल और प्रभावी माना गया है। जानकारों व पंडितों के अनुसार श्रीगणेश की साधना में अत्यधिक विधि-विधान बंदिशें नहीं हैं, ऐसे में केवल मन में विश्वास और श्रद्धा भाव होने मात्र पर ही श्री गणेश अपने भक्त को हर संकट से बाहर निकाल लेते हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग दिखाते हैं।
पंडित एके शुक्ला के अनुसार श्री गणेश के कुछ मंत्र तो ऐसे हैं, जिनके संबंध में माना जाता है कि इनका हर रोज उच्चारण करने से ये किस्मत को तक बदल देते हैं।
1. गणेश गायत्री मंत्र
मान्यता के अनुसार गणेश गायत्री मंत्र का प्रतिदिन शांत मन से 108 बार जप करने से गणेशजी की कृपा बनी रहती है।
मंत्र:ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
वहीं ये भी माना जाता है कि गणेश गायत्री मंत्र का लगातार 11 दिन तक जाप करने से व्यक्ति के पूर्व कर्मों का बुरा फल खत्म होने लगता है और भाग्य का उसे साथ मिलने लगता है।
2. गणेश कुबेर मंत्र
मान्यता के अनुसार अत्यन्त भारी कर्ज होने या हर रोज कोई न कोई आर्थिक परेशानियां आने की स्थिति में व्यक्ति को गणेशजी की पूजा करने के बाद गणेश कुबेर मंत्र का हर रोज एक निश्चित समय पर जाप करना से चाहिए।
मंत्र :ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को धन के नए स्त्रोत प्राप्त होते हैं, जिनसे व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है।इसके साथ ही उसके कर्जे में भी कमी आनी शुरु हो जाती है।
3. तांत्रिक गणेश मंत्र
यह साधना तांत्रिक होने के कारण इसमें कुछ खास चीजों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। लेकिन यह भी माना जाता है कि इसके तहत रोज सुबह महादेवजी, पार्वतीजी और गणेशजी की पूजा करने के बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करने सेव्यक्ति के समस्त सुख-दुख तुरंत खत्म होने लगते हैं।
मंत्र:ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति, सिदि्ध पति। मेरे कर दूर क्लेश।।
इस मंत्र के प्रयोग में सबसे खास बात ये है कि इस मंत्र के प्रयोग के समय व्यक्ति को पूर्ण सात्विकता रखनी होती है और क्रोध, मांस, मदिरा, परस्त्री से संबंधों से किसी भी स्थिति में दूर रहना होता है।
Published on:
28 Sept 2021 06:37 pm
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