शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
पंचाग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी या तेरस तिथि का प्रारंभ शुक्रवार के दिन 13 मई को शाम 5 बजकर 27 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन शनिवार को 14 मई की दोपहर 3 बजकर 22 मिनट पर होगा।
शास्त्रों के अनुसार, शाम के समय प्रदोष व्रत की पूजा किये जाने का प्रावधान है। ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा और व्रत दोनों ही 13 मई को किएजाएंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत में 13 मई को शिव जी की पूजा के लिए शुभ समय सायंकाल 7 बजकर 4 मिनट से रात्रि 9 बजकर 9 मिनट तक है। इसलिए भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस समयावधि में भक्तजन शिवशंभु की विधि-विधान से पूजा करें।
प्रदोष व्रत कथा:
एक बार की बात है एक शहर में तीन दोस्त रहते थे। तीनों मित्रों में से एक राजकुमार था, दूसरा ब्राह्मण का बेटा था और तीसरा एक व्यापारी का पुत्र था। तीनों मित्रों की शादी हो चुकी थी परंतु व्यापारी का बेटा अभी तक अपनी पत्नी को घर लेकर नहीं आया था यानी उसका गौना होना बाकी था। एक दिन तीनों दोस्त आपस में बातें कर रहे थे कि, ब्राह्मण के बेटे ने कहा कि, ‘स्त्री के बिना घर भूतों का डेरा होता है।’
तब व्यापारी के बेटे ने ये सुनते ही अपनी पत्नी को लाने का फैसला कर लिया। लेकिन व्यापारी ने अपने बेटे को समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं तो ऐसे समय में बहू की विदाई करवाकर उसे घर लाना शुभ नहीं होगा। परंतु व्यापारी का बेटा अपनी बात पर अड़ा रहा और अपनी पत्नी को लेने ससुराल पहुंच गया। व्यापारी पुत्र अपनी पत्नी के साथ शहर से निकला ही था कि बैलगाड़ी का पहिया तो निकला ही साथ ही बैल की टांग भी टूट गई। जैसे-तैसे पति-पत्नी सफर में आगे बढ़े। फिर अचानक रास्ते में उन्हें डाकुओं ने पकड़ लिया और उनके पास जो भी धन था सब लूट लिया। फिर परेशान दंपति जैसे-तैसे घर पहुंचें।
घर पहुंचे ही थे कि व्यापारी के बेटे को सांप ने डस लिया। फिर वैद्य ने बताया कि व्यापारी के बेटे की तीन दिन में मृत्यु हो जाएगी। इन सब बातों का जब ब्राह्मण पुत्र को पता चला तो उसने व्यापारी के परिवार के सभी सदस्यों को शुक्र प्रदोष का व्रत करने की सलाह दी।
तब व्यापारी के बेटे, उसकी पत्नी और माता-पिता सभी लोगों ने पूरे विधि-विधान से शुक्र प्रदोष का व्रत रखा। तब शुक्र प्रदोष के शुभ प्रभाव से व्यापारी का बेटा ठीक हो गया और उनके सभी कष्ट भी दूर हो गए। साथ ही उनके जीवन में सुख-समृद्धि भी आ गई।
मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान से इस दिन शिव पूजा और व्रत करता है साथ ही शुक्र प्रदोष की कथा सुनता है, शुक्र देवता उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं और इस जीवन में कभी धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं होती।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)