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श्रीकृष्ण का नामकरण और उससे जुड़ी कथा

- नामकरण से पहले बाल-गोपाल की मनमोहक छवि को देखकर ऋषि गर्ग अपनी सुधबुध खो बैठे थे

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Deepesh Tiwari

Sep 07, 2023

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हर वर्ष भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन पूरे धूमधाम से कान्हा की पालकी सजाते हैं और उनका शृंगार किया जाता है। कृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था, लेकिन उनका लालन-पालन मां यशोदा ने किया था। आइए जानते हैं, भगवान कृष्ण का नामकरण किसने किया था।

ऋषि गर्ग यदुवंश के कुलगुरु थे। पुराणों के अनुसार, उन्होंने ही कृष्ण भगवान का नामकरण किया था। एक बार ऋषि गर्ग, गोकुल में पधारे, जहां नंदबाबा और यशोदा मां ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। ऋषि गर्ग ने बताया कि वे पास के गांव में एक बालक का नामकरण करने आए हैं और रास्ते में मिलने के लिए इधर आ गए।

यह सुनकर मां यशोदा ने उनसे अपने बालक का भी नामकरण करने का अनुरोध किया। कहा जाता है कि नामकरण से पहले बाल-गोपाल की मनमोहक छवि को देखकर ऋषि गर्ग अपनी सुधबुध खो बैठे थे। पहली नजर में ही ऋषि गर्ग को पता लग गया था कि यह कोई साधारण बालक नहीं है। उन्होंने मां यशोदा से कहा कि आपका बालक अपने कर्मों के अनुसार कई नामों से जाना जाएगा।

वे समझ गए थे कि बाल-गोपाल के रूप में साक्षात् ईश्वर ने जन्म लिया है, लेकिन उन्होंने यह भेद सबके सामने नहीं खोला। ऋषि गर्ग ने कहा कि यह बालक अब तक कई अवतार ले चुका है और इस बार इसका जन्म काले रूप में हुआ है, इसलिए इसका नाम कृष्ण होगा। मां यशोदा को यह नाम पसंद नहीं आया। उन्होंने ऋषि से कोई और नाम रखने को कहा। तब ऋषि ने कहा कि आप इन्हें कन्हैया, कान्हा, किशन या किसना कहकर भी बुला सकते हैं। तभी से श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाने लगा।