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महावीर हनुमान इसलिए कहलाए “बजरंगबली”

- इंद्रदेव ने हनुमान को ये वरदान दिया था कि उनका शरीर वज्र के समान हो जाएगा और उन पर किसी अस्त्र-शस्त्र का असर नहीं होगा।

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Deepesh Tiwari

Nov 07, 2022

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हनुमान मंदिर में आपने भी कई बार "बजरंग बली की जय" का सुना ही होगा। दरअसल श्री हनुमान का जितना प्रसिद्ध नाम हनुमान है, उनका उतना ही प्रसिद्ध एक नाम बजरंग बली भी है। अंजनी पुत्र मारुति का नाम जहां हनु यानि ठोड़ी पर हुए इंद्र के वज्र प्रहार के बाद हनुमान पड़ा। वहीं इनका नाम बजरंग बली कैसे पड़ा ये सवाल सामान्य रूप से हमारे विचार में आता ही है। तो ऐसे में आज हम आपको हनुमान का नाम बजरंगबली कैसे पड़ा इस संबंध में बता रहे हैं।

जानकारों के अनुसार बजरंग शब्द मूल संस्कृत शब्द का अपभ्रंश है, जो हमारी संस्कृति में घुल मिल गया है।

उनके नाम "हनुमान का इतिहास तो हम जानते हैं, किन्तु क्या आप ये जानते हैं कि उन्हें "बजरंग" क्यों बुलाते हैं? मजेदार बात ये है कि आज शब्द "बजरंग", जो , वास्तव में मूल संस्कृत शब्द का अपभ्रंश है।

रामायण कथा के अनुसार जब मारुति (उनका वास्तविक नाम) सूर्य को निगलने का प्रयास कर रहे थे तब सूर्य की रक्षा हेतु देवराज इंद्र ने उनपर वज्र से प्रहार किया। इससे मारुति की ठुड्डी टूट गयी और वे मूर्छित हो पृथ्वी पर आ गिरे। जब पवनदेव ने अपने औरस पुत्र की ये दशा देखी तो उन्होंने प्राण वायु का संचार रोक दिया। तब ब्रह्माजी ने उन्हें ऐसा करने से मना किया और प्राणवायु का प्रवाह आरंभ करने को कहा। इसपर पवनदेव ने अपने पुत्र पर अनुग्रह करने की प्रार्थना की।

तब ब्रह्मदेव ने मारुति को स्वस्थ कर दिया और उनके आदेश पर लगभग सभी प्रमुख देवताओं ने उन्हें कुछ ना कुछ वरदान दिया। ब्रह्मा जी ने उन्हें ब्रह्मास्त्र तक से सुरक्षा का वरदान दिया। उन्हें एक वरदान देवराज इंद्र ने भी दिया। चूंकि उनके वज्र से मारुति की ठुड्डी (संस्कृत में "हनु") टूटी थी इसी कारण उनका एक नाम हनुमान प्रसिद्ध हुआ।

इसके अतिरिक्त इंद्रदेव ने हनुमान को ये वरदान दिया कि उनका शरीर वज्र के समान हो जाएगा और उन पर किसी अस्त्र-शस्त्र का असर नहीं होगा। तभी से उनका एक नाम "वज्रांग" (वज्र + अंग), अर्थात वज्र के समान अंगों वाला पड़ गया।

समय के साथ यही "वज्रांग" शब्द अपभ्रंश होकर "बजरंग" हो गया। मूल वाल्मीकि रामायण में आपको "बजरंग बली" शब्द कहीं नहीं मिलेगा। वहां मारुति अथवा हनुमान का ही प्रयोग किया गया है। बजरंग शब्द को प्रसिद्ध करने का वास्तविक श्रेय जाता है गोस्वामी तुलसीदास को। जब उन्होंने अवधी भाषा में श्री रामचरितमानस लिखी तब उन्होंने ही पहली बार वज्रांग को स्थानीय अवधी भाषा में बजरंग लिखा और इसी कारण हनुमान का एक नाम "बजरंग बली" प्रसिद्ध हुआ जिसका अर्थ होता है वज्र के समान बल वाला।