
pitra dosh remedies in Shradh Paksha
इन दिनों श्राद्ध पक्ष शुरु हो चुके हैं, ऐेसे में लोग अपने पितरों का तर्पण से लेकर श्राद्ध तक के समस्त कार्य करते हैं। वहीं माना जाता है कि पितरों की नारजगी से ही जातक की कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न होता है।
वहीं ज्योतिष शास्त्र में इस पितृ दोष को प्रमुख दोषों में से एक माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के जीवन में, होते हुए कार्यों पर अचानक रोक लगने के अलावा कई जगहों पर हानि होती है, कुल मिलाकर यह कहें कि उसके जीवन में कई प्रकार की बड़ी परेशानियां उत्पन्न होनी शुरु हो जाती हैं।
इसके साथ ही कुंडली में इस दोष के चलते जातक को धन की कमी से लेकर मानसिक तनाव तक सहना पड़ता हैं। वहीं पितृदोष से पीडित व्यक्ति के जीवन में हमेशा तरक्की को लेकर बाधा बनी रहती है।
जानकारों के अनुसार पितृदोष एक अदृश्य बाधा है। यह बाधा पितरों के रुष्ट होने से उत्पन्न होती है। वहीं पितरों की नाराजगी के कई कारण होते हैं। इनमें मुख्य रूप से आपके आचरण से या किसी परिजन द्वारा की गई किसी गलती से या श्राद्ध आदि कर्म न करने से या अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण होते हैं।
पितृ दोष से छुटकारे के संबंध में जानकारों का कहना है कि इसके कुछ खास उपाय हैं, जिनकी मदद से आप पितरों को पुन: खुश कर पितृ दोष की समस्या से मुक्ति या कुछ हद तक राहत पा सकते हैं।
पितृदोष दूर करने का सबसे सरल उपाय
जानकारों के अनुसार पूरे पितृ पक्ष में घर के वायव्य कोण (उत्तर पश्चिम दिशा) में सरसों व अगर का तेल बराबर की मात्रा दीपक में डालकर दीपक को जलाना चाहिए। वहीं दीया पीतल का होना इसमें खास माना जाता है। ध्यान रहें ये दीपक कम से कम दस मिनट तक अवश्य जलना चाहिए।
पितृदोष दूर करने के सामान्य उपाय
1. इसके तहत भगवान शिव की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठकर या घर में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान कर मंत्र ( 'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।') की 1 माला का हर रोज जाप करने से पितृदोष में राहत के साथ ही शुभत्व की भी प्राप्ति होती है। इस मंत्र का जाप हर रोज एक निश्चित समय पर सुबह या शाम के समय करना चाहिए।
2. मान्यता के अनुसार पितरों के निमित्त अमावस्या को पवित्रतापूर्वक बनाया गया भोजन और चावल बूरा, घी व 1 रोटी गाय को खिलाने से भी पितृदोष शांत होता है।
3. माना जाता है कि अपने माता-पिता व बुजुर्गों का सम्मान, सभी स्त्री कुल का आदर-सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से भी पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।
4. 'हरिवंश पुराण' का श्रवण पितृदोषजनित संतान कष्ट को दूर करने में सहायक होती है, अत: नियमित रूप से स्वयं इसका पाठ करना चाहिए।
5. सुन्दरकाण्ड या दुर्गा सप्तशती का हर रोज पाठ भी इस दोष में कमी लाता है।
6. माना जाता है कि तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेने के बाद उसमें लाल फूल, लाल चंदन, रोली आदि डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हुए 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का 11 बार जाप पितरों को प्रसन्नता प्रदान करता है।
7. अपने पूर्वजों के नाम पर अमावस्या वाले दिन अवश्य दुग्ध, चीनी, सफेद कपड़ा, दक्षिणा आदि किसी मंदिर में या किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना भी इस दोष में राहत देता है।
8. मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में पीपल की 108 परिक्रमा लगाने से भी तो पितृदोष में राहत मिलती है।
9. किसी मंदिर के परिसर में पीपल अथवा बड़ का वृक्ष लगाने के बाद हर रोज उसमें जल डालने और उसकी देखभाल करने से भी पितर प्रसन्न होते हैं। माना जाता है कि ऐसे में जैसे-जैसे वृक्ष फलता-फूलता जाता है वैसे वैसे पितृदोष भी दूर होता जाता है।
10. पितृदोष से राहत के लिए पीड़ित व्यक्ति को दो अमावस्याओं तक लगातार यानि किसी एक अमावस्या से लेकर उसके बाद आने वाली दूसरी अमावस्या तक हर रोज मतलब 1 माह तक किसी पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय के समय शुद्ध घी का 1 दीपक लगाने से भी पितृदोष में राहत मिलती है।
विशेष / खास उपाय : पितृदोष की शांति के लिए अचूक फल देने वाला यह उपाय माना गया है। इसके तहत किसी गरीब की कन्या के विवाह में गुप्त रूप से अथवा प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहयोग करना। ( ध्यान रहे यह सहयोग सच्चे मन व पूरे दिल से होना चाहिए यानि केवल दिखावे या अपनी बढ़ाई कराने के लिए नहीं)। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं, और इससे मिलने वाले पुण्य फल से पितरों को बल और तेज मिलता है, जिससे वे पुण्य लोकों को प्राप्त होते हैं।
वहीं जानकारों का यह भी कहना है कि यदि किसी विशेष कामना को लेकर किसी परिजन की आत्मा पितृदोष बना रही हो तो मोह का त्याग करते हुए उसकी सद्गति के लिए 'गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र' का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
Published on:
20 Sept 2021 07:44 pm
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