
हिंदू धर्म ग्रंथों में हर तिथि का अपना ही महत्व हैं, ऐसे में पौराणिक शास्त्रों के अनुसार हर माह आने वाली अमावस्या तिथि भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। वहीं कृष्ण पक्ष में आनेवाली इस तिथि यानि अमावस्या को अत्यंत रहस्यमयी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन नकारात्मक उर्जा मे वृद्धि के साथ ही प्रेतात्माएं भी अधिक सक्रिय रहती हैं, ऐसे में अब चंद दिनों बाद ही कार्तिक मास की अमावस्या पड़ने जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनातन धर्म में देवी माता लक्ष्मी को अमावस्या सबसे प्रिय तिथि है।
पंडित एके शुक्ला का कहना है कि पंचांग में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। चंद्रमा की 16वीं कला को अमावस्या कहा जाता है। चंद्रमा की यह कला इस तिथि पर जल में प्रविष्ट हो जाती है। वहीं इस तिथि पर चंद्रमा का औषधियों में वास रहता है। अमावस्या माह की तीसवीं तिथि है, जिसे कृष्णपक्ष की समाप्ति के लिए जाना जाता है। इस तिथि पर चंद्रमा और सूर्य का अंतर शून्य हो जाता है।
सामान्य भाषा में कहे तो हिन्दू कैलेंडर से अनुसार वह तिथि जब चन्द्रमा गायब या यूं कहें अंधेरे में खो जाता है, उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अमावस्या को कई लोग अमावस भी कहते हैं। अमावस्या वाली रात को चांद लुप्त हो जाता है, जिसकी वजह से चारों ओर घना अंधेरा छाया रहता है। यह 15 दिन यानि पखवाड़ा कृष्ण पक्ष कहलाता है। वहीं जिन दिनों में हर दिन चंद्र का आकार बढ़ता दिखता है उसे शुक्ल पक्ष कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने का खास महत्व होता है।
दरअसल हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने के 30 दिनों को चंद्र कला के अनुसार 15-15 दिनों के दो पक्षों में विभाजित किया जाता है। जिस भाग में चन्द्रमा बढ़ता रहता है उसे शुक्ल पक्ष कहते हैं और जिस भाग में चन्द्रमा घटते-घटते पूरी तरह लुप्त हो जाए वह कृष्ण पक्ष कहलाता है।
शुक्ल पक्ष में चांद बढ़ते-बढ़ते अपने पूर्ण रूप में आ जाता है, इस पूर्ण रूप को ही यानि पूर्णिमा को शुक्ल पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है, क्योंकि इसके बाद चांद ढलना शुरु हो जाता है और फिर अमावस्या को पूरी तरह से लुप्त हो जाता है, चंद्रमा के इस ढलते दिनों को ही कृष्ण पक्ष कहा जाता है।
स्वामी पितर हैं
सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि पर साधना-आराधना का बड़ा महत्व होता है। इस तिथि पर कोई न कोई पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। इसके स्वामी पितर माने गए हैं। मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितृगण सूर्यास्त तक घर के द्वार पर वायु के रूप में रहते हैं। किसी भी जातक के लिए पितरों का आशीर्वाद बहुत जरूरी माना जाता है। ऐसे में पितरों को संतुष्ट और प्रसन्न करने के लिए इस तिथि पर विशेष रूप से श्राद्ध और दान किया जाता है।
अमावस्या : मां लक्ष्मी की प्रिय तिथि
अमावस्या तिथि देवी माता लक्ष्मी की सर्वाधिक प्रिय तिथि मानी जाती है। इसी कारण कार्तिक मास की अमावस्या यानि दीपों का महापर्व दिवाली इसी तिथि विशेष पर मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी तिथि पर मां लक्ष्मी की साधना-आराधना सुख-समृद्धि दिलाने वाली होती है। मान्यता के अनुसार इस तिथि पर साधना और रात्रि जागरण से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है। ऐसे में मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर आप भी अपने घर के घर में धन-धान्य बढ़ौतरी कर सकते हैं।
वर्ष 2022 - अमावस्या तिथि
- पौष अमावस्या रविवार 2 जनवरी, 2022 को है। पौष अमावस्या तिथि 2 जनवरी को देर रात 3 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 3 जनवरी को सुबह 5 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।
- माघ अमावस्या मंगलवार 1 फरवरी, 2022 को है। माघ अमावस्या तिथि 31 जनवरी को दोपहर में 2 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर 1 फरवरी को दिन में 11 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी।
- फाल्गुन अमावस्या बुधवार 2 मार्च, 2022 को है। फाल्गुन अमावस्या तिथि 2 मार्च को देर रात 1 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को रात में 11 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी।
- चैत्र अमावस्या शुक्रवार 1 अप्रैल, 2022 को है। चैत्र अमावस्या तिथि 31 मार्च को दोपहर में 12 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 1 अप्रैल को सुबह में 11 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी।
- वैशाख अमावस्या शनिवार 30 अप्रैल, 2022 को है। वैशाख अमावस्या तिथि 30 अप्रैल को देर रात 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर 1 मई को देर रात 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी।
- ज्येष्ठ अमावस्या सोमवार 30 मई, 2022 को है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर में 2 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 30 मई को शाम में 5 बजे समाप्त होगी।
- आषाढ़ अमावस्या बुधवार 29 जून, 2022 को है। आषाढ़ अमावस्या तिथि 28 जून को सुबह में 5 बजकर 53 मिनट पर शुरू होकर 29 जून को सुबह में 8 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी।
- सावन अमावस्या गुरुवार 28 जुलाई, 2022 को है। सावन अमावस्या तिथि 27 जुलाई को रात में 9 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 28 जुलाई को रात में 11 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।
- भाद्रपद अमावस्या शनिवार 27 अगस्त, 2022 को है। भाद्रपद अमावस्या तिथि 26 अगस्त को दोपहर में 12 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त को दोपहर में 1 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी।
- अश्विन अमावस्या रविवार 25 सितंबर, 2022 को है। अश्विन अमावस्या तिथि 25 सितंबर को देर रात 3 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 26 सितंबर को देर रात 3 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।
- कार्तिक अमावस्या मंगलवार 25 अक्टूबर, 2022 को है। कार्तिक अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम में 5 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 25 अक्टूबर को शाम में 4 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी।
- मार्गशीर्ष अमावस्या बुधवार 23 नवंबर, 2022 को है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 23 नवंबर को सुबह में 6 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 24 नवंबर को सुबह में 4 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी।
- पौष अमावस्या शुक्रवार 23 दिसंबर, 2022 को है। मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि 22 शाम में 7 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 23 दिसंबर को दोपहर में 3 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी।
Published on:
16 Oct 2022 04:36 pm
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