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Disha Shool Kis Disha Me Hai: दिशाशूल क्या है, यात्रा से पहले जान लें निर्विघ्न बनाने के नियम

Disha Shool Kis Disha Me Hai: गांवों में अक्सर बुजुर्गों को किसी दिन खास दिशा में जाने से दिशाशूल कहकर रोकते सुना होगा। आइये जानते हैं दिशाशूल क्या है और इसकी मान्यता क्या है। साथ ही पुरोहितों से जानते हैं कि जाना जरूरी है तो क्या उपाय करना चाहिए (dishashool me yatra niyam) ..

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Disha shool kis disha me hai

Disha shool kis disha me hai: दिशाशूल किस दिशा में है

क्या है दिशा शूल (hai kya hai dishashool)

Disha Shool Kis Disha Me Hai: हर व्यक्ति कभी न कभी यात्रा करता है, कोई व्यापार, कामकाज, धार्मिक कार्य, खरीदारी या मांगलिक कार्य के लिए, इनमें से कुछ यात्राएं आरामदायक होती हैं तो कुछ में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसमें असफलता मिलती है।

ज्योतिष शास्त्र में यात्रा के नियम बताए गए हैं, इसका पालन करने से यात्रा सुखद और सफल हो सकती है। जबकि दिन विशेष में किसी विशेष दिशा में यात्रा पर प्रतिबंध लगाए गए हैं या इसका उपचार करने की सलाह दी गई है।


किसी दिशा विशेष में दिन विशेष पर की जाने वाली यात्रा में आने वाले संकट या बाधा को ही दिशा शूल (कांटा) कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिशा शूल में अगर किसी कारणवश संबंधित दिशा में यात्रा करनी भी पड़े तो उसके निवारण के कुछ आसान से उपाय कर यात्रा को निर्विघ्न बानाया जा सकता है। वाराणसी के पुरोहित शिवम तिवारी से जानें दिशा शूल का महत्व ..

पूर्व दिशा में दिशा शूल: सोमवार, शनिवार

पं तिवारी के अनुसार पूर्व दिशा में सोमवार और शनिवार को दिशा शूल होता है, इस दिन पूर्व दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। लेकिन यदि यात्रा करनी ही है तो सोमवार को दर्पण देखकर या पुष्प खाकर और शनिवार को अदरक, उड़द या तिल खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम उल्टे पैर चलें।

पश्चिम दिशा का दिशाशूल: रविवार, शुक्रवार

रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा में दिशा शूल माना जाता है और इन दिनों में पश्चिम की यात्रा वर्जित मानी गई है। यदि जाना ही है तो रविवार को दलिया, घी या पान खाकर और शुक्रवार को जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।

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उत्तर दिशा का दिशा शूलः मंगलवार, बुधवार

उत्तर दिशा में मंगलवर और बुधवार को दिशा शूल माना गया है। इस दिन उत्तर दिशा में यात्रा निषिद्ध की गई है। लेकिन यदि यात्रा करना ही पड़े तो मंगलवार को गुड़ खाकर और बुधवार को तिल, धनिया खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।

दक्षिण दिशा में दिशाशूलः गुरुवार

गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन दक्षिण दिशा में दिशा शूल होता है। बचाव के लिए गुरुवार को दही या जीरा खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।

दक्षिण पूर्व दिशा का दिशा शूलः सोमवार, गुरुवार

दक्षिण पूर्व यानी आग्नेय दिशा में सोमवार और गुरुवार को यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन इस दिशा में दिशा शूल रहता है। बचाव के लिए सोमवर को दर्पण देखकर, गुरुवार को दही या जीरा खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।

नैऋत्य दिशा में दिशा शूलः रविवार, शुक्रवार

रविवार और शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) दिशा की यात्रा वर्जित है। इस दिन इस दिशा में दिशा शूल रहता है। रविवार को दलिया और घी खाकर और शुक्रवार को जौ खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।

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उत्तर पश्चिम की यात्राः मंगलवार

उत्तर पश्चिम यानी वायव्य कोण में यात्रा मंगलवार को निषिद्ध की गई है। इस दिन इस दिशा में दिशा शूल रहता है। बचाव के लिए मंगलवार को गुड़ खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।

उत्तर पूर्व दिशा में यात्राः बुधवार, शनिवार

उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान दिशा में बुधवार और शनिवार को यात्रा वर्जित मानी गई है। इस दिन इस दिशा में दिशाशूल रहता है। बचाव के लिए बुधवार को तिल या धनिया खाकर और शनिवार को अदरक, उड़द की दाल या तिल खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें।

इस समय नहीं प्रभावी होते दिशा शूल

वाराणसी के पुरोहित शिवम तिवारी के अनुसार दिशाशूल में संबंधित दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए और जरूरी हो तो दिशाशूल के उपाय कर लेना चाहिए। इसके अलावा रविवार, गुरुवार, शुक्रवार के दोष रात्रि में प्रभावित नहीं होते हैं, जबकि सोमवार, मंगलवार, शनिवार के दोष दिन में प्रभावी नहीं होते हैं। किंतु बुधवार तो हर प्रकार से त्याज्य है। इस दिन के दिशा शूल का जरूर ध्यान रखना चाहिए।


इसके अलावा यदि एक दिन में गंतव्य स्थान पर पहुंचना और फिर वापस आना निश्चित हो तो दिशाशूल विचार की आवश्यकता नहीं है। कुल मिलाकर यदि कहीं जा रहे हैं और वहां रात्रि ठहरना है तब इसके नियम को मानने की जरूरत है।