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भगवान शिव को कैसे मिला कालांतक नाम, ऋषि मार्कण्डेय से जुड़ी है कथा

Kalantaka Mantra: भगवान शिव का एक नाम कालांतक है, जिसका अर्थ है काल का अंत करने वाला। आइये जानते हैं कैसे पड़ा शिव का कालांतक नाम और इसका मंत्र क्या है (Shiva kalantak nam) ।

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भारत

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Pravin Pandey

Jun 20, 2025

kalantaka mantra

lord Shiva kalantak nam story: भगवान शिव का नाम कालांतक कैसे पड़ा

Mahamritunjay Mantra Utpatti Ki Katha: ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि अमोघ शक्तियों वाले महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की खास वजह मानी जाती है। एक कथा के अनुसार मर्कण्डु ऋषि को लंबे समय तक कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने अपना पत्नी के साथ भगवान शिव की आराधना की (Shiva kalantak nam) ।

भगवान शिव जब ऋषि दंपती की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए तो उन्होंने ऋषि मर्कण्डु से पूछा कि हे ऋषि तुम गुणहीन दीर्घायु पुत्र चाहते हैं या 16 वर्षीय गुणवान अल्पायु पुत्र, तब मर्कण्डु ऋषि ने दूसरा विकल्प चुना और महादेव से गुणवान अल्पायु पुत्र को मांगा।


सप्त ऋषियों से मिली थी महामृत्युंजय मंत्र की दीक्षा

भविष्यवक्ता व्यास ने बताया कि उम्र के बढ़ने के साथ मार्कण्डेय की शिव भक्ति भी बढ़ती जा रही थी। उनको अपनी मौत के संबंध में पता था लेकिन वो इसको लेकर विचलित नहीं थे। 16 साल का होने पर मार्कण्डेय को अपनी मृत्यु और अल्पायु होने का रहस्य अपनी माता से पता चला। जिस दिन उनकी मौत का दिन निश्चित था उस दिन भी वह चिंतामुक्त होकर शिव आराधना में लीन थे।


शिवपूजा करते समय उनको सप्तऋषियों की सहायता से ब्रह्मदेव से महामृत्युंजय मंत्र ' ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्द्धनम्, ऊर्वारुकमिव बन्धनात्, मृत्योर्मुक्षियमामृतात्।। की दीक्षा मिली।

इस मंत्र ने मार्कण्डेय के लिए अमोघ कवच का काम किया और जब यमदूत उनको लेने के लिए आए तो शिव आराधना में लीन मार्कण्डेय को ले जाने में असफल रहे। इसके बाद यमराज स्वयं धरती पर मार्कण्डेय के प्राण लेने के लिए आए।

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यमराज को मांगनी पड़ा माफी


भविष्यवक्ता ने बताया कि यमराज ने मौत का फंदा ऋषि मार्कण्डेय की गर्दन में डालने की कोशिश की, लेकिन वह फंदा शिवलिंग पर चला गया। वहां पर भगवान शिव स्वयं उपस्थित थे। वह यमराज की इस हरकत से नाराज हो गए और अपने रौद्र रूप में यमराज के सम्मुख आ गए।


महादेव और यमराज के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें यमराज को पराजय का सामना करना पड़ा। भोलेनाथ ने यमराज को इस शर्त पर क्षमा किया कि उनका भक्त ऋषि मार्कण्डेय अमर रहेगा। इसके बाद शिव का एक नाम कालांतक हो गया। कालांतक का अर्थ है काल यानी मौत का अंत करने वाला।