
and connection with panchmatha of Rewa
मृगेन्द्र सिंह. रीवा। आदि शंकराचार्य के एकात्म दर्शन को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने पहल की है। इसकी शुरुआत के लिए रीवा के उस स्थान को चुना गया है, जहां पर आदि शंकराचार्य 1199 वर्ष पहले आए थे। उस दौरान रीवा शहर अस्तित्व में नहीं था। यह जंगली क्षेत्र था, अमरकंटक और प्रयाग के मध्य होने की वजह से यहां पर साधु-संतों का विश्राम होता था। इतिहासकारों का कहना है कि यह क्षेत्र रेवा पट्टनम के नाम से जाना जाता था। देश के चार क्षेत्रों में मठों की स्थापना कर एकात्म दर्शन का सूत्र स्थापित करते हुए नई सामाजिक अलख जगाई।
पांचवा मठ स्थापित करने की घोषणा की थी
आदि शंकराचार्य देश में चार पीठों की स्थापना के बाद देशाटन में निकले ओंकारेश्वर, काशी, प्रयाग के बाद रीवा आए। करीब सप्ताह भर यहां रहकर आध्यात्मिक जानकारियां लेने के बाद पांचवे मठ के रूप में रीवा को घोषित किया। तभी से संत समाज इसे पंचमठा कहने लगा। 1986 में कांचीकामकोटि के शंकराचार्य जयेन्द्र सरास्वती अपने उत्तराधिकारी विजयेन्द्र के साथ आए थे। उन्होंने भी कहा था कि आदि शंकराचार्य के भ्रमण में रीवा का प्रवास और पांचवे मठ की स्थापना का प्रमाण मिलता है। पुरी के शंकराचार्य निरंजन तीर्थ भी अपने प्रवास के दौरान इसका उल्लेख कर चुके हैं। समय-समय पर यहां कई शंकराचार्यों का आगमन होता रहा है।
मध्य भारत का प्रमुख आध्यात्मिक केन्द्र बनाना चाहते थे
देश के चार हिस्सों में मठों की स्थापना के बाद मध्य भारत में भी शंकराचार्य ऐसे आध्यामिक केन्द्र को विकसित करना चाह रहे थे जहां से एकात्म दर्शन को आगे बढ़ाते हुए सामाजिक एकता की अलख जगाई जा सके। प्रयाग, काशी, चित्रकूट, अमरकंटक, जबलपुर आदि क्षेत्र उस दौरान संतों के प्रमुख केन्द्र थे। इनके मध्य रेवा पट्टनम(रीवा) को वह विकसित करना चाह रहे थे। पूर्व में आए शंकराचार्यों का भी यही कहना है कि आदि शंकराचार्य के संदेश में यह था कि रेवा पट्टनम से देश के बड़े हिस्से में एकात्म दर्शन का संदेश दिया जा सकता है।
बौद्धों का प्रभाव कम करने चुना था क्षेत्र
पंचमठा से जुड़े डॉ. कुशल प्रसाद शास्त्री बताते हैं कि आठवीं सदी में इस क्षेत्र में बौद्धों का प्रभाव अधिक था। उसे समाप्त कर एकात्म दर्शन से जोडऩे के लिए आदि शंकराचार्य देशाटन में निकले थे। सप्ताह भर बीहर नदी के किनारे बने आश्रम में वह ठहरे और इस पांचवे मठ के रूप में विकसित करने का संकेत दिया। दूसरे मठों में वह उत्तराधिकारी नियुक्त कर चुके थे लेकिन रीवा में उसकी व्यवस्था करने से पूर्व ही 32 वर्ष की आयु में सन 820 में उन्होंने प्राण त्याग दिए, इस कारण यह क्षेत्र आध्यात्मिक रूप से विकसित नहीं हो सका। शास्त्री का कहना है कि देउर कोठार, त्योंथर, भरहुत जैसे कई उदाहरण हैं कि उस दौरान यहां बौद्धों का ही बोलबाला था। शंकराचार्य की वजह से ही सनातन धर्म व्यवस्था यहां बढ़ी।
दो बार इंदिरागांधी भी यहां आईं
1954 में यहां आश्रम की स्थापना करने वाले स्वामी ऋषिकुमार ने भी आध्यात्मिक केन्द्र में विकसित करने का प्रयास किया। उनके कहने पर ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी यहां पर दो बार आईं। उनके साथ से लगाया आम का पेड़ अब भी है। आश्रम के महंत विजयशंकर ब्रम्हचारी का कहना है कि समाज को एकता में बांधने के लिए इस मठ की स्थापना की गई थी। यहां पर कई शंकराचार्य और मठाधीश समय-समय पर आते रहे हैं। अब सरकार ने जन-जागरण के साथ ही आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने धातु संग्रहण का महाअभियान चलाने पंचमठा को चुना है जिससे इसका गौरव फिर बढ़ेगा।
प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार
पंचमठा में जहां पर भगवान शिव और लक्ष्मीनारायण का मंदिर आठवीं सदी से पहले बनाया गया था, वह प्रशासनिक उदासीनता का शिकार है। उक्त मंदिर के नाम पर रीवा राज्य की ओर से महाराजा ने पांच एकड़ भूमि भी दी थी। यह अब निजी हाथों में चली गई है। कई बार साधु-संतों ने भूमि वापस करने की मांग की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एकात्म यात्रा की शुरुआत करने आ रहे हैं तो उनके सामने भी मांग रखी जाएगी।
ओंकारेश्वर में बनेगी 108 फिट प्रतिमा
आदि गुरु शंकराचार्य ने प्रदेश के जिन क्षेत्रों का भ्रमण किया था, उनके चार प्रमुख स्थानों से एकात्म यात्रा आरंभ हो रही है। पचमठा आश्रम में कुछ समय बिताया था। उनकी 108 फुट की प्रतिमा ओंकारेश्वर में बनाई जाएगी। जिसके निर्माण के लिए धातु संग्रहण किया जाएगा।
इन जिलों से जाएगी एकात्म यात्रा
रीवा से रामनई, रायपुर कर्चुलियान, मनगवां, रघुनाथगंज से देवतालाब पहुंचेगी। 20 दिसम्बर को नईगढ़ी, होते हनुमना पहुंचेगी। 21 को सीधी में प्रवेश करेगी। फिर सिंगरौली, सतना, पन्ना, सागर, रायसेन से 21 को ओंकारेश्वर पहुंचेगी। यहां 22 को शंकराचार्य प्रतिमा निर्माण के लिए भूमिपूजन होगा।
Updated on:
19 Dec 2017 02:29 pm
Published on:
19 Dec 2017 02:09 pm
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