
aadi Shankaracharya pachmatha rewa mp, beehar riverfront
रीवा। आदि शंकराचार्य की शरणस्थली पचमठा को आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में विकसित करने की दिशा में घोषणा के छह माह बाद भी सरकार ने कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया है। अब एक पुराने प्रोजेक्ट से इसका विकास करने की तैयारी।
सरकार ने लंबे अंतराल के बाद पचमठा का महत्व बढ़ाते हुए सरकारी दस्तावेज में स्थान को आदि शंकराचार्य की शरणस्थली के रूप में दर्ज किया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि मचमठा का अपना विशेष महत्व है, इसी वजह से आदि शंकराचार्य यहां कई दिनों तक रुके थे। इस स्थल को स्पेशल प्रोजेक्ट देकर आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री की घोषणा पर तो अमल नहीं हुआ लेकिन उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को बीहर रिवरफ्रंट योजना में इसे भी जोडऩे के लिए कहा है। पचमठा में जल्द ही नदी के किनारे घाट और पार्क विकसित होगा। काम दिखाने के लिए चाहे भले ही घाट और पार्क बना दिया जाए लेकिन लोगों की मांग इसका पुराना वैभव लौटाने की रही है। इस स्थान के लिए किसी ऐसी योजना की उम्मीद थी जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और बढ़े।
एकात्म यात्रा की हुई थी शुरुआत
पचमठा से बीते साल 19 दिसंबर को सरकार ने एकात्म यात्रा की शुरुआत की थी। जिसका स्वागत करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहुंचे थे। कई धर्मगुरुओं और साधु-संतों ने यात्रा की अगुआई की थी। संतों ने भी कहा था कि पचमठा को ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वैभव लौटेगा। यह यात्रा रीवा, उज्जैन, ओंकारेश्वर, अमरकंटक से एक ही दिन निकाली गई थी।
रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट का जायजा लेने पहुुंचे मंत्री
स्पेशल पैकेज पचमठा के लिए चाहे भले ही नहीं मिल पाया हो, लेकिन यहां पर निर्माण की शुरुआत जल्द ही होने जा रही है। उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला पचमठा में जायजा लेने पहुंचे, उनके साथ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों के साथ ही तहसीलदार भी साथ थे। मंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि जरूरत पड़े तो कार्ययोजना में संशोधन करें और पचमठा के विकास की योजना बनाएं। पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत 56.36 करोड़ रुपए लागत वाले इस प्रोजेक्ट में बीहर नदी के किनारे घाट निर्माण और सौंदर्यीकरण की योजना थी। अब परिसर के बाउंड्रीवाल, भवन मरम्मत सहित अन्य कार्य बढ़ाए जाने की तैयारी है।
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पचमठा का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व है, इसी के चलते यहां से एकात्म यात्रा निकाली गई थी। सरकार ने इसे नजरंदाज नहीं किया है बल्कि बीहर रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट के साथ इसके विकास के लिए कार्य प्रारंभ होने जा रहा है। 15 जून के आसपास इसका भूमिपूजन करेंगे। एक बार फिर पचमठा का वैभव लौटेगा और भव्य आयोजन शहर में होगा।
राजेन्द्र शुक्ला, उद्योग मंत्री मप्र शासन
1200 वर्ष पहले आए थे आदि शंकराचार्य
सनातन धर्म स्थापना के लिए आदि शंकराचार्य देशाटन पर निकले थे। चार मठों की स्थापना के बाद वह सन् 818 में रीवा आए थे। उस दौरान इस क्षेत्र में बौद्धों की संख्या अधिक थी। यहीं शास्त्रार्थ कर उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना की घोषणा करते हुए कहा था कि रीवा में पांचवे मठ की स्थापना होगी। 1986 में कांचीकामकोटि के शंकराचार्य जयेन्द्र सरास्वती अपने उत्तराधिकारी विजयेन्द्र के साथ आए थे। उन्होंने भी कहा था कि आदि शंकराचार्य के भ्रमण में रीवा का प्रवास और पांचवें मठ की स्थापना का प्रमाण मिलता है।
लंबे समय से उपेक्षित रहा है पचमठा
पचमठा लंबे समय से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहा है। यहां की भूमि कुछ लोगों ने अपने नाम पर करवा ली है। जिसका मुकदमा चल रहा है। यहीं पर 1956 में संत ऋषिकुमार ने आश्रम की स्थापना की थी। इसी परिसर में संस्कृत कॉलेज भी संचालित हो रहा है। परिसर अतिक्रमण की चपेट में आता जा रहा है, इसके विकास के लिए कई बार मांग उठी लेकिन कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए।
Published on:
05 Jun 2018 12:13 pm
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