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MP election 2018: राजनीति में युवाओं की हो भागीदारी, एजुकेशन को इंडस्ट्री के साथ जोड़ें तो हटे बेरोजगारी

जिले के विकास में शैक्षणिक गुणवत्ता, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत योजनाओं के क्रियान्वयन को बेहतर करना होगा। लोगों के रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाना चाहिए

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रीवा

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Rajesh Kasera

Oct 28, 2018

Add education to industry, then lose unemployment

Add education to industry, then lose unemployment

रीवा. जिले के विकास में शैक्षणिक गुणवत्ता, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत योजनाओं के क्रियान्वयन को बेहतर करना होगा। लोगों के रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाना चाहिए। एजुकेशन के क्षेत्र में तकनीकि शिक्षा को बढ़ावा मिले। चिकित्सा सेवाओं के लिए पर्याप्त मात्रा में डॉक्टर चाहिए। किसानों को समय से खाद, बीज, पानी और फसलों की सुरक्षा व उनके गाढ़ी कमाई की कीमत मिले। शहर के विकास के साथ ही कॉलोनियों में सडक़, पेयजल और जलनिकासी की व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए। जिले में उद्योग स्थापित कर क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार दिया जाए। वर्तमान सरकार में योजनाएं बेहतर पर व्यवस्थित विकास नहीं हुआ। सरकारों को युवाओं के स्किल डवलपमेंट पर काम करना चाहिए। विपक्ष की भूमिका शून्य रही। शनिवार दोपहर पत्रिका कार्यालय में मेरा वोट मेरा संकल्प के तहत बैठक में शहरियों ने ये मुद्दे रखे।
रोजगार परख शिक्षा दिया जाए जोर
पत्रिका कार्यालय में मेरा वोट मेरा संकल्प के तहत शनिवार को बैठक आयोजित की गई। इस दौरान शहरिया ने विकास के लिए बढ़-चढक़र मुद्दे रखा और शहर से लेकर गांव तक व्यवस्थित विकास का सुझाव दिए। सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश ओबीसी ने कहा, शहर के कॉलोनियों में जलनिकास की व्यवस्था नहीं होने से मोहल्ले की सडक़ें बजबजा रहीं हैं। १४ साल में २६ हजार किसानों की मौत हो चुकी है। किसानों के विकास के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। शैलेन्द्र ने कहा, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था दुरूस्त की जाएं। रोजगार परख शिक्षा दिया जाए। राजीव विश्वकर्मा ने सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए निजी स्कूलों की महंगी शिक्षा को रोकने का मुद्दा उठाया।

राजनीति में युवाओं की भागेदारी होनी चाहिए
आरविंद पटेल ने कहा, सरकारें चाहे जिस पार्टी की हो, राजनीति में युवाओं की भागेदारी ज्यादा होनी चाहिए। शिवेन्द्र कुमार मिश्रा ने कहा, संजय गांधी हॉस्टिपल में महा नगरों की तरह डॉक्टरों नियुक्त करना होगा। मरीजों के इलाज का फीडबैक लिया जाना चाहिए। पारसमणि चतुर्वेदी ने कहा कॉलेजों में शिक्षा गुणवत्ता में सुधार किया जाए। रीवा को आइटी हब बनाने की आश्वयकता है। इसी तरह अश्वनी कुमार मिश्र, शेषमणि पटेल, लक्ष्मण त्रिपाठी, मुनिराज सिंह, विनय कुमार पांडेय, दिलीप पांडेय, रोहित मिश्रा, शिव गौतम, शिवेन्द्र मिश्र, सत्यम समदरिया, अनुराग दुबे, सुभाष तिवारी आदि ने भी मुद्दे रखे।

महिलाओं को राजनीति में 50 फीसदी आरक्षण
महिलाओं को राजनीति में पचास फीसदी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। जो महिलाएं प्रतिनिधि भी हैं, उन पर पुरूष भारी हैं। महिलाएं मर्यादा में रहकर पुरूषों की अपेक्षा बेहतर काम कर सकती हैं। उन्हें राजनीति में भी मौका मिलना चाहिए। शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने के लिए अधिकारी और कर्मचारियों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढ़े तो सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में सुधार होगा। ममता नरेन्द्र सिंह, पूर्व सदस्य उपभोक्ता फोरम

डॉक्टर हैं पर इलाज के लिए जा रहे बाहर
संजय गांधी जैसे हॉस्पिटल होने के बावजूद डॉक्टर इलाज नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण लोगों को अच्छे इलाज के लिए नागपुर, जबलुपर और प्रयाग जाना पड़ता है। रीवा में पर्यावरण के क्षेत्र में कोई काम नहीं हो रहा है। १३ लाख पेड़ काटे गए, लेकिन उसकी भरपाई के लिए पौधे नहीं लगाए गए। जिले में 85 तालाब नष्ट हो गए। वर्तमान सरकार जनता की अपेक्षा के अनुरूप विकास को मृर्तिरूप नहीं दे सकी। विपक्ष तो सो रहा है। बीके माला, सामाजिक कार्यकर्ता

रोजगार परक शिक्षा की जरूरत
बेजरोगार दूर करने के लिए युवाओं को रोजगार परख शिक्षा नहीं दी जा रही है। कृषि क्षेत्र में सरकार ऐसी योजना तैयार करें कि छोटे-छोटे किसान कम लागत में बेहतर फसल उत्पादन कर सकें। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिल्डिंग खड़ी कर देने से कुछ नहीं होगा। योग्य व विशेषज्ञ डॉक्टर पदस्थ किए जाएं। विक्रांत द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता

सिंचाई के नहरों का जाल बिछाया जाए
कृषि प्रकृति पर निर्भर है। सिंचाई के लिए किसान बरसात के भरोसे रहता है। सिंचाई के लिए जिले में नहरों का जाल बिछाया जाना चाहिए। प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक 50-50 हजार रुपए तनख्वाह लेकर पांच बच्चे को नहीं पढ़ा पा रहे हैं। ज्यादातर स्कूलों में पांच शिक्षक हैं और पांच ही बच्चे हैं। जिले में कोई ऐसा उद्योग नहीं हैं, जहां क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार मिला हो। शशिकांत पांडेय, एडवोकेट


सडक़ों की कनेक्टविटी बढ़ाई जाए
गांवों में हर तीन किमी पर एक ट्रांसफार्मर जला है, तराई अंचल में गांवों में सडक़ों कनेक्टविटी नहीं है। ज्यादातर मुख्य सडक़ें जर्जर हो गई हैं। जवा, त्योंथर क्षेत्र में आवारा पशुओं के साथ ही खेत के संसाधन को मबजूत करना होगा। क्षेत्रीय युवाओं के रोगार के लिए इंडस्ट्री लगाई जाएं। रमेश ङ्क्षसह, सामाजिक कार्यकर्ता

आवारा पशुओं को रोकने गो अभ्यारण्य बने
माइनरों में टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है। सरकारें किसानों की फसल सुरक्षा को लेकर आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहीं हैं। जिले के किसानों की सबसे बड़ी समस्या आवारा पशु हैं। सैकड़ों ट्रांसफार्मर जले हुए हैं। किसानों की 80 फीसदी धान की फसल सूख गई। सोसायिटियों पर समय से न तो खाद मिल रही है और नही बीज मिलता है। डीजल-पेट्रोल महंगा होने से किसान जिस खेत को ६०० रुपए घंटे में जोताई करता था, आज 1200 रुपए घंटा देना पड़ता है। भावांतर योजना के तहत मंडियों में अभी तक उड़द, मंूग की खरीदी चालू नहीं हो सकी है।
-अनिल सिंह (पिंटू), किसान नेता


ये मुद्दे आए सामने
० शहर की कॉलोनियों में जलनिकासी, पेय जल व्यवस्था के साथ सडक़ों का निर्माण हो।
० शहर में डे्रनेज सिस्टम बनाया जाए, नालों की चौढ़ाई बढ़ाई जाए।
० शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार किया जाए।
० युवाओं को रोजगार के लिए इंडस्ट्रियों की स्थापना की जाए।
० शहर में फुटपाथ बने तो पैदल और साइकिल चलने वालों की राह आसान हो सके।
० शैक्षणिक गुणवत्ता ठीक करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
० युवाओं को रोजगार परख शिक्षा के लिए तकनीकि शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए।
० कॉलेजों में पै्रक्टिल नॉलेज ठीक किया जाए।
० आवारा पशुओं के रोकथाम के लिए हर तहसील में गौ-शालाएं बनाई जाएं।
० अस्पताल में महानगरों की तरह डॉक्टर नियुक्त किए जाएं।
० शहर से लेकर गांव तक तालाबों को व्यवस्थित किया जाए।
० हाइवे और शहर से शराब की दुकानें हटाई जानी चाहिए।
० सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करना होगा।
0 एजुकेशन को इंडस्ट्री से जोड़ा जाए जिसे पढ़-लिखकर युवा बेरोजगार न रहें।