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विश्वविद्यालय में डिग्री के लिए भटक रहे छात्र, लंबित आवेदनों पर सुनवाई नहीं

- तत्काल में एक दिन के भीतर वितरण करने का है नियम, सामान्य आवेदन पर भी 30 दिन के भीतर देना अनिवार्य- सैकड़ों की संख्या में आवेदन लंबित, कुलपति के निर्देश के बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था  

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रीवा

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Mrigendra Singh

Feb 25, 2020

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रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में छात्रों को दी जाने वाली डिग्रियां प्रबंधन के उदासीन रवैए की वजह से समय पर नहीं वितरित हो पा रही हैं। इसकी शिकायतें भी लगातार विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव से की जा रही है लेकिन कोई ठोस प्रयास नहीं किए जाने की वजह से विश्वविद्यालय के छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दर्जनों की संख्या में आवेदन ऐसे हैं जो दो से तीन वर्ष पहले दिए गए थे लेकिन उन पर अब तक विश्वविद्यालय की ओर से डिग्री जारी नहीं की गई है। इसके लिए कई बार शिकायतें हुई पर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है। आवेदन प्राप्त होने के ३० दिन के भीतर डिग्री उपलब्ध कराना विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी है लेकिन ऐसे आवेदनों की समीक्षा नहीं होने की वजह से आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बताया जा रहा है कि पूर्व में रहे कुलपति के मनमानी रवैए की वजह से लगातार आवेदन डंप होते रहे हैं। यही वजह रही कि बीते महीने करीब तीन सौ से अधिक की संख्या में पुराने आवेदन हो गए थे। इसमें कुछ डिग्रियां संबंधित आवेदकों के डाक पते पर भेजी गई हैं। बीते महीने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान भी बड़ी संख्या में छात्रों से डिग्री के लिए आवेदन कराए गए थे, जो उस समय आए उन्हें प्रदान की गई लेकिन जिन्होंने आवेदन लगाया और लगातार संपर्क में नहीं रहे उनकी डिग्रियां बनाई ही नहीं गई। जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पूर्व की करीब दो दर्जन से अधिक डिग्रियां संबंधित के घर तक पहुंचाने के लिए डाक से भेजी गई थी। इसमें कुछ डिग्रियां वापस लौट आईं क्योंकि उनमें गलत पता लिखा गया था।
- केवल तत्काल आवेदन में बनाई जा रही डिग्री
विश्वविद्यालय की ओर से जारी की जाने वाली डिग्री के लिए छात्रों को सामान्य तौर डिग्री देने के लिए जो आवेदन लिया जाना चाहिए, वह इनदिनों विश्वविद्यालय में नहीं लिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि डिग्री बनाने के लिए कर्मचारियों की कमी है। इसलिए तत्काल में आवेदन जमा कराया जा रहा है। जिसके लिए छात्रों को दोगुना शुल्क जमा करना होता है। तत्काल पर डिग्री तो उसी दिन या फिर एक दिन के बाद उपलब्ध करा दी जाती है लेकिन सामान्य शुल्क जमा करने वालों के महीनों से आवेदन पड़े हैं। जिन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। दो से तीन वर्ष पहले की भी इस तरह के आवेदन बड़े हुए हैं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- कुलपति के निर्देश के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं
बीते 28 जनवरी को विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था, उस दौरान कई छात्रों की ओर से डिग्री की मांग उठाई गई तो कुलपति ने संबंधित शाखा के कर्मचारियों को निर्देशित किया था कि पुराने आवेदन किसी भी हाल में लंबित नहीं होने चाहिए। सामान्य आवेदनों में भी डिग्री बनाए जाने के लिए निर्देश जारी किया था लेकिन अब तक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं है। पहले की तरह ही डिग्री के लिए आवेदन करने वाले लोगों से विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से ही कहा जाता है कि अधिक शुल्क देकर तत्काल में डिग्री प्राप्त करें। इससे छात्रों को अधिक राशि जमा करनी पड़ रही है।


- दो साल पहले आवेदन पर कार्रवाई नहीं
शहडोल के पंडित शंभूनाथ शुक्ला कालेज में छात्र रहे मोहित श्रीवास्तव ने 15 मार्च 2018 को आनलाइन आवेदन किया था। जिसके लिए ३३० रुपए शुल्क भी जमा कराए गए थे। अब तक विश्वविद्यालय की ओर से यह डिग्री नहीं बनाई जा सकी है। कई बार मोहित ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन वह अगली तारीख बताते रहे। करीब दो वर्ष का समय पूरा होने जा रहा है लेकिन अब तक डिग्री नहीं बनाई जा सकी है। इसी तरह प्रतिमा पाण्डेय और शैलेन्द्र सोनी के आवेदन भी डेढ़ वर्ष पहले दिए गए थे लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।