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सैकड़ों कर्मचारी और यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हुई भिड़ंत, समय पर पहुंच गई पुलिस और बवाल को रोका, जानिए पूरा मामला

परिषद कार्यालय के बाहर चलता रहा हंगामा, पांच मिनट में पूरी कर ली कार्यवाही- भारी संख्या में पहुंचा पुलिस बल, आइजी को कर्मचारी संघ ने सौंपा ज्ञापन

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रीवा

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Mrigendra Singh

Sep 12, 2018

rewa

congress controversy in rewa madhya pradesh

रीवा। नगर निगम परिषद के बाहर कर्मचारियों ने धरना दिया और कांग्रेस पार्षदों के विरोध में नारेबाजी करते हुए गिरफ्तारी की मांग उठाई। इस बीच कांग्रेस के कार्यकर्ता भी पहुंचे और उनकी ओर से भी नारेबाजी की गई, काफी देर तक दोनों पक्षों की ओर से हंगामा मचाया गया। इस बीच परिषद के भीतर कार्यवाही पर भी इसका असर हुआ।
परिषद जैसे ही 11.55 बजे प्रारंभ हुई, कांग्रेस के सज्जन पटेल ने अध्यक्ष से पूछा कि नगर निगम कार्यालय में विपक्ष के पार्षदों को बैठने के लिए जो कक्ष दिया गया था, उस पर कर्मचारी संघ ने कैसे कब्जा जमा लिया है। इस पर कई पार्षदों ने हंगामा मचाया और निगम के अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग उठाई। अध्यक्षी दीर्घा के सामने विपक्ष के सदस्य धरने पर बैठ गए और नारेबाजी की। बढ़ते शोरगुल को देखते हुए अध्यक्ष सतीश सोनी ने २० मिनट के लिए बैठक स्थगित कर दी। महापौर, अध्यक्ष एवं आयुक्त सहित अन्य अधिकारी काफी देर तक मंत्रणा करते रहे।
करीब 40 मिनट से अधिक का समय बीत जाने के बाद जब बैठक प्रारंभ नहीं हुई तो नेता विपक्ष अजय मिश्रा ने आरोप लगाया कि भाजपा की सत्ता में हर ओर भ्रष्टाचार हावी है, निगम के अधिकारी भाजपा कार्यकर्ता की तरह कार्य कर रहे हैं। परिषद की गरिमा गिराने का काम हो रहा है। काफी देर तक आरोप लगाने के बाद उन्होंने कहा कि बैठक प्रारंभ नहीं हुई तो वह बहिष्कार करेंगे। इस पर सत्ता पक्ष और अधिकारी खामोश रहे, जिसके चलते कांग्रेस के सदस्यों ने बहिर्गमन कर दिया। इनके साथ माकपा के पार्षद रमाकांत पाण्डेय एवं निर्दलीय नम्रता सिंह भी शामिल रहीं। जिस दौरान कांग्रेस के पार्षद धरने पर बैठे थे तो इन्हीं के दल के पार्षद गोविंद शुक्ला और विनोद शर्मा उनसे अलग देखे गए और वह अपनी कुर्सी से नहीं उठे।

कांग्रेसी बाहर गए तो एक स्वर में सभी एजेंडे पास
कांग्रेस के पार्षदों ने बहिर्गमन किया तो इसका फायदा सत्ता पक्ष ने उठाया। जैसे ही वह बाहर गए, अध्यक्ष आसंदी पर आसीन हुए और कार्रवाई प्रारंभ कराई। जिस पर सभी एजेंडे एक स्वर में पास कर दिए गए। जिसमें कर्मचारियों के सातवें वेतनमान की स्वीकृति, बजट अनुदान का अंतरण, सिरमौर चौराहा से अस्पताल चौक तक के मार्ग का 'श्री गुरुनानक देव जी के नाम से नामकरण, ऋतुराज पार्क के डे-केयर सेंटर का वाचनालय कवि शंभू काकू के नाम से खोलने की स्वीकृति, कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम भवन का हस्तांतरण, महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव की प्रतिमा चोरहटा बायपास के नजदीक लगवाने की स्वीकृति दी गई।

तकनीक सुधार के लिए एक मामला वापस किया
बैठक में महामृत्युंजय काम्प्लेक्स एसएएफ चौराहा एवं कोठी कंपाउंड की अचल संपत्तियों के अंतरण का प्रस्ताव पेश किया गया। जिसमें तकनीकी सुधार के लिए वापस कर दिया गया है। इसे आगामी बैठक में फिर से प्रस्तुत किया जाएगा।

युकां के कार्यकर्ता और कर्मचारियों ने आमने-सामने की नारेबाजी
परिषद कार्यालय के बाहर उस दौरान तनाव की स्थिति बन गई जब कर्मचारियों की नारेबाजी के बीच युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता पहुंच गए। युकां के अध्यक्ष दिवाकर द्विवेदी के नेतृत्व में एक ओर गौहत्या और निगम परिसर में दफनाए जाने को लेकर नारेबाजी की गई तो वहीं निगम कर्मचारियों की ओर से राजेश चतुर्वेदी, अरुण शुक्ला, अच्छेलाल पटेल, बुद्ध सिंह, मुन्नालाल आदि की अगुआई में नारेबाजी हुई। दोनों पक्ष आमने-सामने नारेबाजी कर रहे थे, जिसके चलते तनाव की स्थिति बन रही थी। मौके पर पहुंचे सीएसपी और सिविल लाइन थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस बल ने दोनों पक्षों को रोका। काफी देर तक गहमा गहमी बनी रही।

कांग्रेस पार्षदों को रोकने की थी तैयारी
नगर निगम में कुछ दिन पहले हुए विवाद पर कांग्रेस के दो पार्षदों पर एफआइआर दर्ज की गई है। इनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर नगर निगम के कर्मचारी सुबह से ही परिषद कार्यालय के बाहर बैठे थे। इनकी तैयारी थी कि जब उक्त पार्षद आएंगे तो उन्हें परिषद कक्ष में घुसने नहीं दिया जाएगा। कांग्रेस के सभी पार्षद और कुछ यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता एक साथ आए और नारेबाजी करते हुए भीतर चले गए, उन्हें कर्मचारी रोक नहीं पाए।
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इन्होंने क्या कहा, जानिए

निगम के कर्मचारियों ने ज्ञापन दिया है कि पार्षदों को गिरफ्तार किया जाए। इस मामले की जांच डीआइजी कर रहे हैं, इस कारण उनसे कहा गया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।
उमेश जोगा, आईजी रीवा जोन
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परिषद का सम्मिलन कई महीने के बाद हुआ है, इसमें शहर के विकास से जुड़े एजेंडे शामिल किए गए थे। विपक्ष के कुछ पार्षद बैठक छोड़कर चले गए। बेहतर होता कि वह रहते और अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज कराते जिससे जरूरत के हिसाब से संशोधन भी किया जाता। उनके आरोप पूरी तरह से राजनीतिक हैं।
ममता गुप्ता, महापौर
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परिषद की गरिमा को भाजपा के नेताओं और निगम के अधिकारियों ने गिराया है। इसका संचालन वह पार्टी कार्यालय के हिसाब से करने का प्रयास कर रहे हैं। बिना किसी कारण के अध्यक्ष बैठक स्थगित करके चले जाते हैं। जो भी जानकारी पूछी जाती है उसका जवाब नहीं मिलता। पूरे शहर की स्थिति इन सब की वजह से खराब है, जनता हिसाब लेगी।
अजय मिश्रा, नेता विपक्ष नगर निगम

.. IMAGE CREDIT: Patrika

अध्यक्ष की अनुमति से दो एजेंडे जोड़े और किए पास
पूर्व से निर्धारित एजेंडे बिना किसी टीका टिप्पणी के एक स्वर में पास कर दिए गए। इसके बाद सदन में उपस्थित सदस्यों के दोतिहाई सदस्यों की ओर से दो प्रस्ताव रखे गए जिन्हें बिना किसी चर्चा के पास कर दिया गया है। इसमें रानीतालाब परिसर के रखरखाव का प्रीमियम निर्धारण और कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम के संचालन का मामला शामिल था। एक दिन पहले ही इन दोनों एजेंडों को मेयर इन काउंसिल की बैठक ने अनुमति दी थी।
ऑडिटोरियम का रखरखाव समदडिय़ा ग्रुप को दिया गया है। जिसको लेकर कई आरोप लगाए जा रहे हैं। इसका किराया हर महीने 1.34 लाख रुपए समदडिय़ा ग्रुप नगर निगम को देगा। इसके बदले वह ऑडिटोरियम को कार्यक्रमों के लिए अधिकतम 65 हजार रुपए प्रति कार्यक्रम की दर से किराए पर दे सकेगा। साथ ही फिल्में भी दिखाने की अनुमति दी गई है।

पार्षद ने लिखित में आपत्तियां दर्ज कराई
वार्ड 13 की पार्षद नम्रता सिंह ने सड़क, नाली के टेंडर, पैचवर्क के कार्य, स्टार्म वाटर निर्माण, स्थान का नामकरण किए जाने आदि को लेकर लिखित में आपत्ति दर्ज कराई है। बोलने का अवसर नहीं मिलने के चलते अध्यक्ष ने कहा है कि उनकी ये आपत्तियां कार्यवाही में दर्ज होंगी। इसके अलावा पार्क का नामकरण करने की मांग भी उनकी ओर से की गई।

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दोनों पक्षों ने सौंपा ज्ञापन
शोरशराबे के बाद निगम के कर्मचारियों और कांग्रेस के पार्षदों ने अलग-अलग हिस्सों में आइजी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा। जिसमें कर्मचारियों ने पार्षदों की गिरफ्तारी की मांग उठाई है तो कांग्रेस पार्षदों ने ज्ञापन में मांग की है कि निगम परिसर में मवेशियों को दफनाए जाने और कोष्टा प्लांट में गौमांस मिलने के मामले की जांच कर एफआइआर दर्ज किया जाए।