
दीनदयाल अंत्योदय रसोई
रीवा. पांच महीने पहले प्रदेश सरकार ने एक साथ सभी जिलों में दीनदयाल अंत्योदय रसोई प्रांरभ की थी। लेकिन पांच रुपए में मिलने वाले पौष्टिक भोजन पर पांच महीने में ही संकट खड़ा हो गया। गरीबों को सस्ते में भोजन उपलब्ध कराने शुरू की गई दीनदयाल अंत्योदय रसोई में बजट का रोड़ा खड़ा हो गया है। हालत यह है कि सरकार से मदद नहीं मिली तो शहर के अस्पताल चौराहे पर संचालित यह रसोई बंद करनी पड़ेगी।
शासन ने प्रारंभ की है योजना
गरीबों को खाली पेट न सोना पड़े इस मंशा से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह योजना शुरू की थी। सरकार ने ७ अप्रैल २०१७ से दीनदयाल अंत्योदय रसोई प्रांरभ की थी। लेकिन इन रसोइयों को संचालित करने वाली संस्थाओं के लिए बजट का प्रावधान नहीं रखा गया। सरकार वर्तमान में सिर्फ संस्थाओं को एक रुपए प्रति किलो गेंहू व चावल उपलब्ध करा रही है। लेकिन संस्थाओं को भोजन की लागत नहीं निकल पा रही है। स्वयंसेवी संस्थाएं भी मदद से हाथ खड़े करने लगी हैं।
100 दिन में 10लाख की क्षति
योजना प्रांरभ होने के बाद संस्थाओं ने 100 दिन का आय-व्यय निकला। इसमें संस्थाओं को 10 लाख से अधिक का नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई नहीं हो पा रही है। दरअसल इन संस्थाओं को सरकार ने कंपनी के सीआर मद से राशि मुहैया कराने की बात कही थी, लेकिन यह राशि नहीं मिल रही है। इससे संस्थाओं को रसोई संचालन में मुश्किल आ रही है।
मंत्री ने दिए एक लाख रुपए
आर्थिक तंगी झेल रही संस्था को अक्टूबर माह में उद्योग मंत्री ने एक लाख रुपए स्वेच्छा अनुदान से राहत दी थी, इसके अतिरिक्त नियमित दानदाताओं सेे पांच माह में दो लाख रुपए ही मिले। इसके बाद भी लागत नहीं निकल पा रही है।
एक नजर स्थिति
1000 लगभग रोजना खा रहे खाना
1.50 लाख रुपए माह में मिलती है राशि
4लाख रुपए माह में हो रहे खर्च
130 क्विंटल माह मिलता है गेंहू
100 क्विंटल माह मिलता है चावल
5 रुपए प्रतिथाली लेते हैं।
Published on:
02 Dec 2017 05:59 pm
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