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रीवा। आपदा प्रबंधन को लेकर सरकार ने सभी विभागों को सजग रहने के लिए कहा है। अब हर विभाग को अपने यहां आपदा प्रबंधन की कार्ययोजना बनानी होगी ताकि किसी भी आपात स्थिति में निबटा जा सके। इस आशय का पत्र शासन ने सभी विभागों को जारी कर कहा है कि आपदा प्रबंधन की कार्ययोजना बनाकर अपने विभाग के मुख्यालय को भेजें।
बताया गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम २००५ के प्रावधानों एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंध कार्ययोजना की शर्तों के अनुसार कार्ययोजना बनानी होगी। अब जल संसाधन विभाग पर भी फोकस किया गया है। प्रदेश में हर साल बारिश में आपदा आती है, जिसकी वजह से विभाग के भीतर आपदा प्रबंधन से नदियों और बांधों के पानी का प्रबंधन सही तरीके से हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं। यह योजना राज्य स्तर से उपसंभाग स्तर तक विभाग के सभी कार्यालयों एवं उपक्रमों पर लागू होगा। पानी से जुड़ी आपदा की संभावना अधिक होने से जलसंसाधन विभाग को सबसे अधिक सतर्क किया जा रहा है।
संभाग में बाढ़ और भूकंप का खतरा
राज्य आपदा प्रबंधन योजना के तहत प्रदेशभर में कराए गए सर्वे के बाद रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें रीवा संभाग में बाढ़ और भूकंप का प्रभाव होने का उल्लेख किया गया है। रीवा में बाढ़ और दुर्घटनाएं, सतना में बाढ़, सूखा एवं दुर्घटनाएं, सीधी में सूखा और भूकंप, सिंगरौली को भूकंप का केन्द्र माना जा रहा है और सूखे की भी संभावना है। साथ ही यहां पर कोल माइंस और बड़ी कंपनियों की वजह से दुर्घटनाओं को भी आपदा में शामिल किया गया है। कुछ महीने पहले यहां भूकंप जैसे घटनाक्रम से दहशत फैली थी। वहीं पन्ना को भी भूकंप और सूखा से प्रभावित माना गया है। रीवा और सतना में दो वर्ष पहले बाढ़ की समस्या आई थी। शहडोल, उमरिया, कटनी, जबलपुर को भी भूकंप की जद में माना गया है।
राहत के उपाय पूर्व से करने के निर्देश
कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित आपदा प्रबंधन समिति को निर्देशित किया गया है कि आपदा के दौरान होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए पूर्व से ही तैयारियां की जाए। इसमें अस्थाई अधोसंरचना, अस्थाई राहत कैंप, चिकित्सा कैंप, अस्थाई हेलीपैड, बांधों या अन्य आपदा प्रभावित क्षेत्रों से वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था सहित अन्य निर्देश मिले हैं।
इन उद्देश्यों को लेकर बनानी होगी कार्ययोजना
-विभाग संबंधित जोखिमों का चिन्हांकन एवं रोकथाम की तैयारी करेंगे।
-आपदा प्रबंधन को विभाग के विकास की मुख्यधारा में शामिल करना।
- विभाग और संस्था स्तर पर तकनीकी ढांचा स्थापित करना।
- सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से पूर्वानुमान और शीघ्र चेतावनी प्रणालियां विकसित करना।
- सुरक्षित आपदा प्रतिरोधी बांधों एवं नहरों का निर्माण।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर एजेंसियों के साथ सहयोग स्थापित करना।
जलसंसाधन की भूमिका महत्वपूर्ण
जल मौसम विज्ञान के संचालक जीपी सोनी ने बताया कि आपदा प्रबंधन की तैयारी हर जगह होना चाहिए ताकि त्वरित सहायता उपलब्ध कराई जा सके। प्रदेश के कई हिस्से बाढ़ आपदा की चपेट में आते हैं, इस कारण जलसंसाधन विभाग के लिए विस्तृत कार्ययोजना भेजी गई है। सभी विभागों को अपने स्तर पर कार्ययोजना बनाना है।
Updated on:
21 Jun 2018 11:45 am
Published on:
21 Jun 2018 11:43 am
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