
black spot of the accident
रीवा. सड़कों की संरचना कई जगह ऐसी होती है कि वहां पर आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। लगातार हो रही घटनाओं के चलते ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने के लिए सरकार ने पूर्व में निर्देश जारी किए थे। जिसमें प्रोटोकाल तय किया गया था कि ब्लैक स्पाट पर किस तरह की व्यवस्थाएं की जाएंगी। इस प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसकी वजह से अब नगरीय प्रशासन विभाग ने एक बार फिर नगर निगम और नगर परिषदों को पत्र लिखकर कहा है कि सुप्रीम कोर्टकी कमेटी ऑन रोड सेफ्टी द्वारा नियमित समीक्षा की जा रही है। साथ ही समय-समय पर निर्देश जारी किए जा रहे हैं कि ब्लैक स्पाटपर सुधारात्मक उपाय किए जाएं। पत्र में निगम आयुक्त और सीएमओ से कहा गया हैकि वह समय और भौगोलिक संरचनाओं में परिवर्तन होने से दुर्घटना वाले ब्लैक स्पाट भी बदलते रहते हैं। इस कारण नए सिरे से स्थलों को चिन्हित कराएं। शहर के भीतर कुछ ऐसे स्थान होते हैं जहां पर दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। साथ ही अधिकांश हाइवे भी नगरीय निकायों की सीमा से होकर गुजरे हैं।
नए सिरे से तैयार होगी रिपोर्ट
नगरीय निकायों को निर्देश मिला है कि ब्लैक स्पाट के प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके लिए निकाय प्रमुखों से कहा गया है कि ब्लैक स्पाट से जुड़ी पूरी रिपोर्ट नए सिरेतैयार की जाए। पहले पुलिस से स्पाट की जानकारी ली जाएगी उसके बाद निकाय के अधिकारी, पुलिस और रोड सेफ्टी एक्सपर्ट के साथ निरीक्षण करेंगे। जहां पर यह देखा जाएगा कि सड़क में किन कमियों के चलते दुर्घटनाएं हो रही हैं। स्थानीय लोगों से भी पूछताछ की जाएगी। यदि मार्गों के निर्माण दुघर्टना के कारण हैं तो इसके लिए कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजी जाएगी। निकाय क्षेत्र में यदि अस्थाई रूप से व्यवस्था बनाने से दुर्घटनाएं घट सकती हैं तो इसकी कार्रवाईभी की जाएगी।
ऐसे स्थान कहलाएंगे ब्लैक स्पाट
शासन द्वारा 19 दिसंबर 2016 को जारी किए गए प्रोटोकाल में कहा गया है कि मार्गों पर वह स्थान जिन पर बीते तीन साल में पांच से अधिक दुर्घटनाएं या फिर १० मौत हो चुकी हैं। उन्हें दुर्घटना के लिए ब्लैक स्पाट चिन्हित किया जाएगा और यह प्रयास होगा कि दुर्घटनाएं कैसे रोकी जाएं। इसके लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
फोरलेन के बावजूद हादसे
सुरक्षित सफर की परिकल्पना को लेकर नेशनल हाइवे को फोरलेन किया गया। रीवा से हनुमना मार्ग बेहतर बनाया गया है और एनएच 27 अभी निर्माणाधीन है। लेकिन सड़क चौड़ी होने के बावजूद दुर्घटनाओं की संख्या कम होने की बजाय तेजी से बढ़ी है। वजह रोड इंजीनियरिंग में छोटी-छोटी खामियां और ट्रैफिक कंट्रोल में लापरवाही को माना जा रहा है। हादसा प्रभावित स्थानों को लोगों ने ही खतरा चौराहा जैसे नाम दे दिया है।
4-ई का सूत्र फेल
मप्र राज्य सड़क सुरक्षा नीति 2015 में सुरक्षित सफर के लिए 4-ई का स्वर्णिम सूत्र दिया गया है। जिसमें एज्यूकेशन, इंजीनियरिंग (रोड), इंफोर्समेंट, इमरजेंसी केयर है। लेकिन इस पर कोई ठोस काम नहीं होने से दुर्घटनाओं पर लगाम नहीं लगी। त्वरित बचाव भी नहीं हो पाता। दूसरे माध्यमों से ही अस्पताल तक पहुंचना पड़ता है। काफी हद तक शासन की आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा १०८ ने राहत दी है लेकिन अन्य उपाय नहीं किए गए हैं।
अब तक ये हैं ब्लैक स्पाट
१- रीवा शहरी क्षेत्र- चोरहटा बायपास, अगडाल, रेलवे मोड़, जेपी मोड़, ढेकहा तिराहा, करहिया, अटरिया, मार्तण्ड स्कूल तिराहा, खुटेही, निरालानगर, इटौरा, रतहरा, समान, पीटीएस तिराहा, चिरहुला, बदरांव, बिछिया, कुठुलिया, सिलपरा आदि स्थानों पर आए दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं।
२- हाइवे पर चिन्हित स्पाट- आरटीओ और एमपीआरडीसी ने हाइवे पर ब्लैक स्पाट चिन्हित कर बोर्डभी लगाया था जब अब निकलते जा रहे हैं।
रीवा-हनुमना मार्ग में रीवा बायपास मोड़ से रामनई तक। मनगवां बस्ती की ओर जाने वाला मार्ग। रघुनाथगंज से देवतालाब के बीच। मऊगंज बायपास, खटखरी, भैसरहा पहाड़ में एमपी-यूपी सीमा।
मनगवां-इलाहाबाद मार्ग- सोहागी पहाड, कलवारी और गढ़ के बीच।
रीवा-सतना मार्ग में बेला चोरहटा के बीच।
एक्सपर्ट व्यू : एसबी सिंह परिहार, रिटायर्ड चीफ इंजीनियर
वाहन चालकों को रोड सेफ्टी और संकेतकों की जानकारी होना आवश्यक है। पुलों गड्ढों से गुजरते समय सावधान जरूरी होती है। अंधे मोड़, यू-टर्न, सड़क पर झाडिय़ों की वजह से सामने के वाहन नहीं दिखते। सड़क क्रासिंग दूर से दिखाई देना चाहिए ताकि सामने से आ रहे वाहनों की जानकारी हो जाए और चालक अपने वाहन को नियंत्रित कर सके। ब्लैक स्पाट पर अध्ययन के बाद उसके सुधार के प्रयास जरूरी हैं। पुलिस को भी दस्तावेज जांच से अधिक सुरक्षित सफर पर ध्यान देना चाहिए।
Published on:
04 Aug 2018 06:36 pm
बड़ी खबरें
View Allरीवा
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
