शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘राष्ट्रीय मुद्दे एवं चुनौतियां’ विषय पर आयोजित की गई। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सत्येन्द्र शर्मा के द्वारा की गई। मुख्य वक्ता डॉ. अरविंद जोशी ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का विश्लेषण करते हुए आधुनिक भारत में विद्यमान चुनौतियों का विश्लेषण किया। कहा कि भारत विश्व का क्षेत्रफ ल अनुसार सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या अनुसार दूसरा सबसे बड़ा एक दक्षिण एशियाई राष्ट्र है। इसकी विकासशील अर्थव्यवस्था वर्तमान समय में विश्व की दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। बड़े आर्थिक सुधारों के पश्चात भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया। इसे नव औद्योगीकृत देशों में से एक माना जाता है। आर्थिक सुधारों के पश्चात भी भारत के समक्ष अभी भी कई सामाजिक चुनौतियां है जिनमें से प्रमुख सामाजिक मुद्दे हैं गरीबी, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद व आतंकवाद, कुपोषण और अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं।
विश्व में 94वां भ्रष्ट देश है भारत
मुख्य वक्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार एक प्रमुख मुद्दा है और इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा कराए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि सफ लतापूर्वक सार्वजनिक कार्यालयों में अपना काम निकालने के लिए 62 प्रतिशत से भी अधिक भारतीयों को प्रत्यक्ष रूप से रिश्वत देने या किसी तरह के प्रभाव का सहारा लेने का अनुभव था। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार सूचकांक में शामिल किए गए 176 देशों में से भारत विश्व का 94वां सबसे भ्रष्ट देश था। बहुत समय से आतंकवाद का शिकार रहा है। आतंकवाद देश के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है।
नैतिकता निम्न स्तर पर
प्राचार्य डॉ. सत्येन्द्र शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में नैतिक मूल्यों का पतन सबसे बड़ी चुनौती है। आज का मनुष्य भौतिक समृद्धि के ऐसे ताने-बाने मन में बुनने लगा है और नैतिकता का स्तर गिरता जा रहा है, जिसे देखकर उसका बच्चा बड़ा होकर फिर उसी रास्ते चल पड़ता हैं। जिन्हें नैतिकता और आत्मानुशासन के पाठ पढ़ाने चाहिए वो स्वयं दिशा-भ्रमित होकर अनैतिक आचरण को अपने जीवन की सफ लता मान बैठे हैं। ऐसे में मनुष्य की अपने परिवार के प्रति भूमिका ही सवालों के घेरे में है।
ये रहे मौजूद
प्रथम अकादमिक सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर यशपाल व्यास (इंदौर) एवं मुख्य वक्ता डॉ. विभा जोशी वाराणसी रहीं। प्रथम अकादमिक सत्र में डॉ.रचना श्रीवास्तव, प्रो.अनुपमा अग्निहोत्री, डॉ.आशीष (इंदौर), डॉ. पीयूस जोशी (इंदौर), डॉ. भारती शर्मा (मण्डलेश्वर) संगोष्ठी के आयोजन में डॉ.केके सिह, डॉ.आरसी चतुर्वेदी, प्रो.देवदास (उज्जैन), डॉ.मधुलिका श्रीवास्तव, डॉ.अनिल द्विवेदी, डॉ.गुंजन सिंह, डॉ.इस्लाम बक्स, डॉ.अनामिका शुक्ला, प्रो.निशा सिंह, प्रो. शिव बिहारी कुशवाहा, राजकुमारी पांडेय, प्रो.मिर्जा अख्तर वेग, प्रो.मोहम्मद सरीफ की उल्लेखनीय भूमिका रहीं। संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया।