
Education officer in front of private school are helpless, no action
रीवा। शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से लेकर अब तक निजी स्कूलों में चलाई जा रही निजी प्रकाशन की किताबें भले ही शहर की केवल चिह्नित दुकानों पर मिली हों। लेकिन निजी स्कूल संचालक किताबें ओपेन मार्केट में उपलब्ध होने की बात कर रहे हैं।
स्कूल ऑनलाइन उपलब्ध करा रहे विवरण
जिला प्रशासन के निर्देश पर शिक्षा विभाग को स्कूलों की ओर से दी जा रही जानकारी में ज्यादातर स्कूलों ने यह दावा किया है कि उनके स्कूल की किताबें बाजार में किसी भी दुकान से प्राप्त की जा सकती है। ज्यादातर ने संबंधित बिन्दु में ओपेन मार्केट व एनी व्हेयर (कही भी) का विकल्प भरा है। जबकि हकीकत इसके विपरीत रही है।
केवल दो दुकानों पर उपलब्ध रही किताब
शहर में स्थित निजी स्कूलों की बात की जाए तो ज्यादातर स्कूलों की किताब सिरमौर चौराहा स्थित रमा गोविंद पैलेस, बड़ी पुल के पास स्थित दुकान व अमहिया रोड स्थित दुकान पर ही उपलब्ध रही है। रमा गोविंद पैलेस व बड़ी पुल के पास स्थित किताब की दुकान एक ही मालिक है। इस तरह से ज्यादातर स्कूलों के किताबों की बिक्री केवल दो विक्रेताओं के हाथ में रही है। एक विक्रेता ने जूनियर कक्षाओं की तो दूसरे विक्रेता ने सीनियर कक्षाओं की किताब उपलब्ध कराई है।
कमीशन के लिए रहती है स्कूलों से सेटिंग
स्कूल संचालक भले ही कुछ भी राग अलापें, लेकिन हकीकत यही है कि स्कूलों की किताब केवल चंद दुकानों पर सीमित रहने के पीछे कमीशन का खेल है। स्कूल में कौन से प्रकाशन की किताब चलेगी, यह जानकारी केवल उसी विक्रेता को मिलती है, जो संचालकों को मोटा कमीशन देने को तैयार रहते हैं।
जानकारी होने के बावजूद साधे है चुप्पी
खुलकर बोलने को भले ही कोई तैयार न हो। लेकिन स्कूलों और दुकानदारों के बीच किताबों में चल रहे कमीशन के खेल को अभिभावकों व स्कूल स्टॉफ के साथ जिम्मेदार अधिकारी भी जानते और समझते हैं। लेकिन स्कूल संचालकों के रसूख और मिलीभगत के चलते चुप्पी साधे रहते हैं।
Updated on:
30 Jun 2018 01:47 pm
Published on:
30 Jun 2018 12:32 pm
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