
Energy saving model in rewa
रीवा। शहर की स्ट्रीट लाइट व्यवस्था निजी हाथों को सौंपने की कवायद के बीच शासन ने एनर्जी सेविंग मॉडल में कुछ नए संशोधन कर इसे लागू करने के लिए कहा है। इससे बिजली खपत करीब आधी हो जाएगी। अब पूरे शहर की स्ट्रीट लाइट जलाने और बुझाने से लेकर उसके मेंटीनेंस तक की व्यवस्था कंपनी को सौंपी जाएगी। शासन ने कंपनी का नाम भी तय कर दिया है, इस पर नगर निगम का किसी तरह से दखल नहीं होगा, जो शर्तें निर्धारित की गई हैं उनके आधार पर राशि उस कंपनी को भुगतान करनी होगी।
एनर्जी सेविंग मॉडल के नए प्रारूप को नगर निगम की एमआइसी ने भी स्वीकृति दे दी है, अब अंतिम निर्णय के लिए इसे परिषद के समक्ष रखा जाएगा। बताया गया है कि एलईडी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट भारत सरकार के उपक्रम एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (इइएसएल) के माध्यम से एनर्जी सेविंग मॉडल द्वारा क्रियान्वित की जाएगी। यह व्यवस्था सबसे पहले रतलाम में चालू हुई है, इसके बाद रीवा में सर्वे हुआ था। अब कई अन्य शहर भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
कम बिजली खपत वाली स्ट्रीट लाइट लगेंगी
स्ट्रीट लाइट के इस प्रोजेक्ट के तहत कम ऊर्जा खपत वाली एलईडी लगाई जाएगी। पूर्व से शहर की प्रमुख सड़कों और वार्डों में लगी एलईडी और मर्करी लाइट को बदला जाएगा। शहर के 15 हजार 765 खंभों में 15 हजार स्ट्रीट लाइट लगी हुई हैं, जिन्हें हटाकर इइएसएल नए सिरे से लाइट लगाएगी। पहले यह व्यवस्था दी गई थी कि शहर के प्रमुख हिस्से से लाइट निकालकर आउटर वार्ड में लगाई जाएगी। इस पर सरकार ने कहा है कि एक ही शहर में दो तरह की व्यवस्थाएं ठीक नहीं होंगी। पूरे शहर में एक तरह की लाइट रहेगी, पुरानी बदली जाएंगी। करीब दो हजार से अधिक खंभे लगाए जाने हैं, वहां पर भी नई स्ट्रीट लाइट लगेगी।
21 करोड़ रुपए होगी लागत
इइएसएल को एलइडी लाइट लगाने और उसके मेंटीनेंस के लिए सात वर्ष का समय दिया जाएगा। शर्तों के आधार पर निगम अनुबंध करेगा। इस प्रोजेक्ट की लागत 9.91 करोड़ रुपए है, जिसे कंपनी लगाएगी। आगामी सात वर्षों तक कंपनी काम करेगी जिस पर 21 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वर्तमान में जो बिजली बिल निगम भुगतान कर रहा है, उसमें आधा बिल होने का अनुमान है।
मॉनीटरिंग सिस्टम भी होगा
शहर में नई स्ट्रीट लगाए जाने के बाद उसका मानीटरिंग सिस्टम भी आधुनिक होगा। लाइट में कोई भी खराबी आने पर कंपनी के मॉनीटरिंग सिस्टम के माध्यम से यह पता चल जाएगा कि कहां पर खराबी है। सेंट्रल कंट्रोल मॉनीटरिंग सिस्टम (सीसीएमएस) से सभी लाइटों को जोड़ा जाएगा। इसमें ऑटोमेटिक सिस्टम भी लगाया जाएगा जिसमें लाइट के जलने और बुझने का समय निर्धारित किया जाएगा। इससे दिन में भी लाइट जलने की शिकायतें नहीं आएंगी। किसी भी स्थान पर खराबी के 48 घंटे के भीतर लाइट को जलाना होगा अन्यथा निगम द्वारा पेनाल्टिी भी लगाई जाएगी।
हर साल दो करोड़ भुगतान करेगा निगम
नगर निगम कंपनी को हर साल दो करोड़ रुपए भुगतान करेगा। कुछ साल के बाद यह राशि घटेगी। अभी शहर में लगे स्ट्रीट लाइट में हर साल 80 लाख रुपए से अधिक की राशि मेंटीनेंस के नाम पर राशि खर्च की जा रही है। जिसमें २९ कर्मचारियों के वेतन और वाहन का खर्च शामिल है। इस बीच नई लाइट निगम को खरीदने की जरूरत नहीं होगी।
परिषद की अनुमति के बाद शुरू होगा काम
नगर निगम की बिजली व्यवस्था के प्रभारी भूपेन्द्र सिंह बुंदेला ने पत्रिका.काम को बताया कि शहर की स्ट्रीट लाइट बदलने का जो प्रोजेक्ट पहले तैयार था उसमें पुरानी लाइट को बाहरी हिस्से के वार्डों में लगाना था लेकिन अब पूरे शहर की लाइट बदली जानी है। नया प्रपोजल एमआइसी में रखा गया था, जहां से स्वीकृति मिली है। परिषद की अनुमति के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

Published on:
23 Mar 2018 03:01 pm
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