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रीवा। निजी कंपनियों में चाकरी करने के बजाए खुद का व्यवसाय खड़ा करें। इस सोच के साथ बीई की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनुराग दीक्षित तकनीकी खेती अपना दिमाग लगा रहे हैं। लौआ लक्ष्मणपुर गांव में वह अपने खेत में नए-नए किस्मों की सब्जियां उगा रहे हैं। वर्तमान में उनके खेत में खीरे की फसल लहलहा रही है।
भोपाल के बेस्ट कॉलेज से की पढ़ाई
भोपाल के इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल ब्रांच में पढ़ाई पूरी करने वाले अनुराग का कहना है कि अभी उनके द्वारा खेती प्रयोग के तौर पर की जा रही है। वह यह देख रहे हैं कि उन्हें किस फसल में अच्छा उत्पादन और मुनाफा मिलेगा। यह सुनिश्चित होने पर वह अपना उत्पादन दिल्ली के बाजार में भेजेंगे। क्योंकि यहां स्थानीय बाजार में उत्पाद की अच्छी कीमत नहीं मिल रही है।
लहलहा रही खीरे की फसल
फिलहाल वर्तमान में उनके खेत में खीरे की फसल लहलहा रही है। अनुराग बताते हैं कि 10 नवंबर को उनके द्वारा बीज का रोपण किया गया था। फसल अब पहली तुड़ाई के लिए तैयार है। हर रोज 2.5 से तीन क्विंटल उत्पादन मिलने की उम्मीद है। फसल दो महीने यानी जनवरी व फरवरी तक चलेगी। इन दो महीनों में डेढ़ से पौने दो लाख रुपए तक का उत्पादन मिलने की संभावना है।
खर्च से दो गुना उत्पादन की कीमत
अनुराग के मुताबिक उन्होंने खीरा की बोवनी में बीज सहित अन्य मदों में 35 हजार रुपए खर्च किए हैं। फरवरी तक खाद पर कुल 35 हजार व मजदूरी में 25 हजार रुपए खर्च की संभावना है। जबकि जनवरी व फरवरी में खीरे की उपज से होने वाली आमदनी पौने दो लाख रुपए तक आंकी गई है।
नेनुआ व लौकी जैसा दिखता है खीरा
अनुराग द्वारा लगाए गए खीरे की फसल नई किस्म का है। उन्होंने साइन फिट व एफ-वन नाम वाले किस्म के खीरे की बोवनी की है। साइन फिट किस्म का खीरा नेनुआ व एफ हाइब्रिड किस्म का खीरा छोटी लौकी की तरह सफेद रंग का है। दोनों किस्म के खीरे स्वादिष्ट व पौष्टिक हैं।
ऐसे समझिए मुनाफे का गणित
3 क्विंटल हर रोज का उत्पादन
90 क्विंटल एक महीने का उत्पादन
180 क्विंटल दो महीने का उत्पादन
1000 रुपए प्रति क्विंटल बाजार में कीमत
1.80 लाख दो महीने की आमदनी
95 हजार रुपए बोवनी में आई लागत
85 हजार रुपए दो महीने में संभावित बचत