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एमपी के इस विश्वविद्यालय में सेटिंग से हो रहा हर कार्य

कॉलेज के साथ हुई विवि प्रशासन की सांठगांठ...

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रीवा

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Ajit Shukla

Jan 13, 2018

APSU Rewa

APSU Rewa

रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम में एक बार फिर कॉलेज संचालकों ने नियमों को ठेंगा दिखाते हुए न केवल बढ़ी सीट पर प्रवेश लिया है। बल्कि विश्वविद्यालय अधिकारियों से सांठगांठ कर सीट में बढ़ोत्तरी पर मुहर भी लगवा ली है। प्रवेश को मंजूरी मिलने के बाद अब उनसे गुपचुप तरीके से परीक्षा फॉर्म भरवाया जा रहा है।

नामांकन के समय हुआ खुलासा
दरअसल शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में निजी कॉलेज संचालकों ने एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम में निर्धारित सीट से अधिक छात्रों का प्रवेश ले लिया। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब छात्रों के नामांकन व परीक्षा फॉर्म भरने की बात आई। निर्धारित सीट से अधिक प्रवेश पर विश्वविद्यालय अधिकारियों ने आपत्ति जाहिर करते हुए एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम के लिए परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि ही नहीं घोषित की। इससे कॉलेज संचालकों में खलबली मच गई। छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरने का मौका दिया जाए, इस कोशिश में कॉलेज संचालकों ने विश्वविद्यालय सेटिंग शुरू कर दी और कामयाब भी हुए।

विवि ने दिया छात्रहित का हवाला
विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रहित का हवाला देते हुए कॉलेजों में एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम में सीट बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव कार्यपरिषद के समक्ष रखा। सूत्रों की माने तो बीच शैक्षणिक सत्र में प्रवेश लिए जाने के बाद रखे गए इस प्रस्ताव को कार्यपरिषद ने भी बिना किसी आपत्ति के मंजूर कर दिया। जिससे अब सभी छात्रों को परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा।

परीक्षा फॉर्म भरने जारी की सूचना
सीट में बढ़ोत्तरी की मंजूरी के बाद विवि प्रशासन ने परीक्षा फॉर्म भरने के लिए पोर्टल खोले जाने की सूचना तो जारी कर दी। लेकिन ज्यादातर समय पोर्टल बंद ही रहा। जिससे अभी तक ज्यादातर छात्र परीक्षा फॉर्म नहीं भर सके हैं। हालांकि विलंब शुल्क के साथ परीक्षा फॉर्म भरने की तिथि 15 जनवरी तक है। दरअसल मंंजूरी देने के बावजूद विवि प्रशासन यह चाहता है कि परीक्षा फॉर्म भरने वाले छात्रों की संख्या पूर्व निर्धारित सीटों तक ही सीमित रहे। ताकि बाद में कोई दिक्कत न हो।

न्यायालय के निर्देश को भी नजर अंदाज
कॉलेज संचालकों का नियम विरूद्ध तरीके से निर्धारित सीट से अधिक प्रवेश लेने का कारनामा इस स्थिति में है, जबकि हाईकोर्ट जबलपुर ने निर्धारित सीट जितना ही प्रवेश लेने का निर्देश दिया। पिछले वर्ष इसी तरह का मामला न्यायालय में गया था। मामले में निर्णय देते हुए न्यायालय ने लिए गए प्रवेश को मंजूर करते हुए यह हिदायत दिया था कि भविष्य में ऐसा न हो। लेकिन संचालकों ने न्यायालय के इस निर्देश को दूसरे ही सत्र में नजरअंदाज कर दिया। फिलहाल इस बार का मामला भी शासन स्तर तक पहुंचाया जा रहा है।