
Fixing of officials with industrialists
रीवा। औद्योगिक क्षेत्र उद्योग विहार में नियम कायदों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उद्योग स्थापना को लेकर अधिकारियों द्वारा लीज पर प्लाट आवंटित कर जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली जा रही है। अधिकारियों की इसी लापरवाही का नतीजा है कि उद्योग विहार में उद्योगपतियों द्वारा बिना नक्शा मंजूर कराए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग तानी जा रही हैं।
नहीं समझ रहे गौरफरमाने की जरूरत
करीब एक वर्ष पहले तत्कालीन कलेक्टर ने इस पर गौर फरमाया था। लेकिन मामला अंतत: ठंडे बस्ते में चला गया। दरअसल उद्योग विहार में संचालित ज्यादातर उद्योगों के भवनों का नक्शा मंजूर नहीं है। पूंजीपतियों ने मनमाने तरीके से बिल्डिंग तान दी है। यह सिलसिला अभी भी जारी है। बिल्डिंग के नक्शे के मामले में न ही औद्योगिक केंद्र एवं विकास निगम (एकेवीएन) के अधिकारी और न ही नगर निगम के अधिकारी गौरफरमाने की जरूरत समझ रहे हैं।
करोड़ों के राजस्व का हो रहा नुकसान
एकेवीएन और नगर निगम के अधिकारियों की इस लापरवाही के चलते राजस्व को करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। अधिकारी गौरफरमाएं तो न केवल भवनों का निर्माण मानक के अनुरूप हो। बल्कि विभागों को अनुप्जा शुल्क व उपकर के रूप में करोड़ों रुपए की रकम मिले। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते विभाग इस आय से वंचित हैं। लाभ पूंजीपतियों को मिल रहा है।
नक्शा मंजूर कराना अनिवार्य
निर्धारित नियमों के तहत औद्योगिक क्षेत्र के उद्योग नए हो या पुराने। उनके भवनों का नक्शा मंजूर होना अनिवार्य है। भवनों का नक्शा एकेवीएन व नगर निगम की संयुक्त समिति की ओर से मंजूर किया जाता है। बिल्डिंगों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सहित अन्य व्यवस्थाएं अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। उद्योग संचालित करने के लिए भवनों का नक्शा निर्धारित किया गया है। ताकि घटना-दुर्घटना की स्थिति में समस्या न हो।
नक्शा मंजूरी का निर्धारित शुल्क
अनुप्जा शुल्क -
20 हजार वर्ग फीट एरिया पर 18 हजार रुपए का शुल्क। यह शुल्क नगर निगम को जाता है।
उपकर -
बिल्डिंग कॉस्ट का एक प्रतिशत उपकर होता है। यह राशि एकेवीएन के लेबर वेलफेयर के खाते में जाता है।
Published on:
29 Jan 2018 12:51 pm
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