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रंग बरसे भीगे चुनर वाली रे…रंंग बरसे…जमकर मचा रंगों का हुड़दंग

रंगों का त्योंहार होली, न केवल रीवा शहर में बल्कि गांवों में भांग की ठंडई से सराबोर रहा। लोग मस्ती में झूमते रहे।

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holi-Rang Barse Bhige Chunar walee ... Rang Barse ...

holi-Rang Barse Bhige Chunar walee ... Rang Barse ...

रीवा. प्रेम और भाईचारे का प्रतीक होली के पर्व पर होलिका दहन के बाद शुरू हुई रंगों की बहार लोगों का तन-मन भिगो गई। होली के दूसरे दिन रंग खेलने का सिलसिला सुबह से शुरू हुआ तो शाम तक चलता रहा। युवाओं और युवतियों की टोली रंग बरसे भीगे चुनर वाली की धुन पर सडक़ों पर थिरकती रही। सभी एक दूसरे का अबीर-गुलाल के साथ ही लाल, हरे, पीले, नीले आदि रंगों से स्वागत करते रहे।

मिठाई से हुआ स्वागत
होली पर लोग एक दूसरे से गले मिलकर बधाई दी और मिठाई से स्वागत किया। गरीब और अमीर हर वर्ग ने त्योहार के हर्ष को मनाने के लिए अपने सामथ्र्य के हिसाब से खरीदी की। जिसमें वे विभिन्न प्रकार की मिठाइयां लेना नहीं भूले थे।

भांग की ठंडई और गुझिया का दौर
फगुआ पर एक ओर जहां गांवों और शहरों में भांग की ठंडई का माहैाल रहा वहीं गुझिया का भी दौर चलता रहा। लोग फगुआ मिलने जाते तो उनका स्वागत भांग के सरबत एवं गुझिया से ही हुआ। भांग की गोली खाकर बूढ़े भी जवान हो गए थे।

जगन्नाथ को चढ़ा आटिका प्रसाद
रीवा में वेंकट सांस्कृतिक महाविद्यालय स्थित जगन्नाथ मंदिर में आटिका महाप्रसाद चढ़ाया गया। यहां पर भगवान श्रीकृष्ण, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शनों को लोग उमड़ें। वहीं सतना के मुकुंदपुर में आटिका पर्व मनाया गया। श्री जगन्नाथ मंदिर में महाप्रसाद चढ़ाने हजारों लोग पहुंचे। महाप्रसाद में कढ़ी और भात शामिल होता है।

patrika IMAGE CREDIT: patrika

चुनरी पर चढ़ा पिचकारी का रंग
सडक़ों पर रंग भरकर बच्चे रंग-बिरंगी अलग-अलग डिजाइन की पिचकारी से रंगों की बरसात करते रहे। वहीं देवरों ने पिचकारी के रंग से भाभियों की चुनरी रंग दी। मुसकाती नई नवेली दुल्हनों ने भी जमकर रंग खेला।

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डीजे की धुन पर हुआ धमाल
फाग गाने की परंपरा पुरानी है और गांवों में फाग मंडलियां सुमधुर फाग गीतों की प्रस्तुति देकर फगुआ को जहां और रंगीन बना दिया। वहीं युवाओं की टोली डीजे की धुन पर धमाल मचाती रही। जिसका आनंद बच्चे और बूढ़े भी लेते रहे।