
In singrauli of the country, there is such a temple where bees do security
रीवा। देश की ऊर्जाधानी सिंगरौली में बाबा खोड़ेनाथ का मंदिर है। जिनकी पहरेदार मधुमक्खियां हैं। यहां आस्था की भीड़ सावन के महीने में उमड़ती है। कसर गांव में इन दिनों मेले जैसा नजारा ढाई हजार फीट ऊंचे पहाड़ से दिखाई देता है।
बाबा खोड़ेनाथ का इतिहास करीब सौ साल पुराना है। पुजारी बताते हैं कि यहां पहले जंगल था। धीरे-धीरे लोगों ने पर्वत मेें चमत्कार की चर्चा शुरू हुई। आसपास के लोगों में आस्था बढ़ी और देखते ही देखते इतनी अडिग हो गई कि लोग तत्काल मनोकामना पूर्ण करने वाले बाबा खोड़ेनाथ को याद करते हैं। महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार पर यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। बनारस, मिर्जापुर, इलाहाबाद, झारखंड, बिहार सहित मध्य प्रदेश के विंध्य अंचल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं। नेशनल हाइवे-39 किनारे यह मंदिर ऊंचे पर्वत पर कसर गांव में स्थित है। यहां से कैलास मानसरोवर जैसा नजारा दिखाई देता है। सावन के महीने में पर्वत पर बाबा खोड़ेनाथ के दर्शन के साथ हरी-भरी वादियों का दीदार रमणीय है। शांत माहौल में गूंजते महादेव के जयकारे आस्था बढ़ाते हैं तो ऊंची चढ़ाई चढऩे और घूम-घूमकर नीचे देखने का रोमांच भी है। यह मंदिर बैढऩ शहर से 45 किमी. की दूरी पर स्थित है।
यहां दर्शन के बाद रुकने की इजाजत नहीं
मान्यता यह है कि यहां दर्शन के बाद किसी को रुकने नहीं दिया जाता है। दरअसल, यहां भंवर, मधुमक्खियां पर्वत में मौजूद हैं। श्रद्धालु यहां जल और नारियल चढ़ाते हैं। दर्शन करते हैं और चले जाते हैं। मधुमक्यिखां अक्सर श्रद्धालुओं पर हमले करती है।
1065 सीढिय़ां चढऩी पड़ती है यहां
मां शारदा के दर्शनों की तरह बाबा खोड़ेनाथ के दर्शन भी लोगों को 1065 सीढिय़ां चढऩे के बाद नसीब होते हैं। आस्था ऐसी है कि यहां सीढिय़ा खुद भक्तों ने मनोकामना पूर्ण होने पर बनवाई है। हर सीढ़ी पर भक्त का नाम लिखा हुआ है। हर साल सीढिय़ों की संख्या बढ़ रही है।
Published on:
28 Jul 2018 12:42 pm
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